
देहरादून/रामनगर। देश में एक बार फिर बाघों की गिनती (टाइगर सेंसेस) की तैयारी शुरू हो गई है। हर चार साल में होने वाली इस राष्ट्रीय स्तर की प्रक्रिया को लेकर इस बार वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) वन विभाग के अधिकारियों को प्रशिक्षण देगा। इसके लिए 18 से 20 नवंबर तक राजाजी टाइगर रिजर्व में विशेष प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जा रहा है।

इस शिविर में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व सहित उत्तराखंड के सभी बाघ क्षेत्रों के डीएफओ, एसडीओ और जूनियर रिसर्च फेलो हिस्सा लेंगे। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ये अधिकारी अपने-अपने वन प्रभागों में फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षित करेंगे, ताकि आगामी बाघ गणना के दौरान किसी प्रकार की त्रुटि न हो सके।
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से इस बार भी गिनती में कैमरा ट्रैप तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। यह तकनीक विश्वसनीय और वैज्ञानिक रूप से सटीक मानी जाती है। इसमें बाघों की धारियों (स्ट्राइप पैटर्न) के आधार पर पहचान की जाती है, जिससे प्रत्येक बाघ की अलग पहचान संभव होती है। इससे न केवल देशभर में बाघों की वास्तविक संख्या का अनुमान लगाया जाता है, बल्कि उनके वितरण क्षेत्र और मूवमेंट पैटर्न का भी अध्ययन किया जाता है।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के एसडीओ अमित ग्वासीकोटि ने बताया कि, “हर बार बाघों की गिनती में वैज्ञानिक सटीकता बढ़ाने के लिए WII से विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इस बार भी राजाजी में होने वाले प्रशिक्षण के बाद हमारे अधिकारी और वनकर्मी कैमरा ट्रैप सर्वे को और व्यवस्थित ढंग से पूरा करेंगे। इससे बाघों की उपस्थिति और संख्या से जुड़ा सटीक डेटा मिलेगा।”
बाघ संरक्षण से जुड़ा यह अभियान वन विभाग की कार्यप्रणाली को मजबूत करने के साथ ही देश में वन्यजीव संरक्षण नीतियों को और प्रभावी बनाएगा। ज्ञात हो कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व विश्वविख्यात है, जहां 260 से अधिक बाघ पाए जाते हैं और यह बाघ घनत्व के लिहाज से दुनिया के प्रमुख क्षेत्रों में शामिल है।
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