
मानवीय संवेदनाओं की मिसाल पेश करते हुए सामाजिक संस्थाओं ने 50 परिवारों तक पहुँचाई सहायता सामग्री — प्रभावितों ने कहा, “अभी भी भय और असुरक्षा में जी रहे हैं हम”
रामनगर। प्राकृतिक आपदा के बाद जब पहाड़ों में तबाही का मंजर लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ा, तब रामनगर की सामाजिक संस्थाओं ने मानवता और सहयोग की मिसाल पेश की।
शहर की कई संस्थाओं — लखनपुर स्पोर्ट्स क्लब, गर्जिया मंदिर समिति, पर्वतीय सभा, राज्य सेनानी मंच, मिसबाहुल उलूम एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी और 40 प्लस फुटबॉल टीम — ने मिलकर चमोली जिले के नंदानगर घाट क्षेत्र के कुंतरी, धुरमा और सैरा गांवों के आपदा प्रभावित 50 परिवारों तक आवश्यक राहत सामग्री पहुँचाई।
संस्थाओं ने जनसहयोग से एकत्र की गई खाद्य सामग्री, रजाई, गद्दे, स्टेशनरी और दैनिक उपयोग की वस्तुएँ स्वयं ग्रामीणों तक पहुंचाकर यह संदेश दिया कि आपदा के समय समाज की एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत है।
स्थानीय लोगों की मदद से राहत वितरण, टीम ने जताया आभार
राहत सामग्री के वितरण में स्थानीय लोगों का सहयोग भी अहम रहा।टीम ने नरेश मैदोली, नंदन सिंह रावत, पुष्पेंद्र रावत, दर्शन सिंह, नरेंद्र कठायत (नंदप्रयाग), पुष्पेंद्र (पीपलकोटि) और मयंक तिवारी (एई, पीडब्ल्यूडी) का विशेष आभार व्यक्त किया, जिनकी मदद से दूरस्थ क्षेत्रों तक सामग्री पहुँचाना संभव हो पाया।
राहत कार्य में शामिल प्रभात ध्यानी, जितेंद्र बिष्ट और चंद्रशेखर जोशी ने लखनपुर स्पोर्ट्स क्लब में आयोजित एक बैठक के दौरान बताया कि कुंतरी, धुरमा और सैरा गांवों में आपदा के बाद हालात बेहद दुश्वार और संवेदनशील बने हुए हैं।
उन्होंने कहा, “लोग अभी भी भय और असुरक्षा के साये में जी रहे हैं। पहाड़ों से मलबा अब भी सरक रहा है, और थोड़ी सी भी बारिश में खतरा बढ़ जाता है।”
बारिश से फिर बढ़ा खतरा, राहत और मुआवजा नाकाफी
गांव के प्रभावित परिवारों ने बताया कि 17 सितंबर को आई भीषण आपदा के बाद उनकी ज़िंदगियां पूरी तरह बदल गईं।दोबारा 2 अक्टूबर की रात हुई तेज बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए।कुंतरी गांव के कई घरों में मलबा दोबारा अंदर भर गया। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों को फोन कर मदद मांगी, लेकिन कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।गांव के लोगों ने कहा कि शासन-प्रशासन द्वारा दी गई राहत और मुआवजा राशि बेहद अपर्याप्त है।प्रभावित परिवारों का दर्द साझा करते हुए टीम सदस्यों ने बताया कि कई घर आज भी खंडहर बने पड़े हैं, जबकि बच्चों की पढ़ाई और बुजुर्गों की देखभाल की स्थिति चिंताजनक है।
गांवों के ऊपर सुरक्षा दीवार और जल निकासी व्यवस्था की मांग
स्थानीय लोगों ने मांग की कि प्रशासन गांवों के ऊपर प्रोटेक्शन वॉल (सुरक्षा दीवार) बनाए, ताकि पहाड़ी से गिरने वाले पत्थर और मलबे से जान-माल की सुरक्षा हो सके।साथ ही, पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था, विद्युत और संचार लाइनों की बहाली को प्राथमिकता दी जाए।गांव के लोगों ने कहा कि कई इलाकों में अब भी बिजली और नेटवर्क की समस्या बनी हुई है, जिससे राहत संपर्क बाधित होता है।
स्पष्ट मुआवजा संरचना की मांग
बैठक में प्रभावितों की मांगों को एक स्वर में दोहराया गया —
जनहानि वाले परिवारों को 25 लाख रुपये का मुआवजा, पूरी तरह क्षतिग्रस्त मकानों के लिए 15 लाख रुपये, आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के लिए 5 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाए।साथ ही यह भी सुझाव दिया गया कि राज्य सरकार आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करे।
एम्स ऋषिकेश में भर्ती पीड़ितों के इलाज का खर्च शासन उठाए
टीम ने राज्य सरकार से यह भी आग्रह किया कि एम्स ऋषिकेश में भर्ती आपदा पीड़ितों का इलाज पूरी तरह निशुल्क किया जाए।उनके साथ मौजूद परिजनों की रहने-खाने की व्यवस्था की जिम्मेदारी भी शासन प्रशासन को उठानी चाहिए, ताकि पीड़ित परिवारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े।
मानवता और एकजुटता की प्रेरक मिसाल
इस अवसर पर आयोजित बैठक में सभी संस्थाओं, स्वयंसेवकों और दानदाताओं का आभार व्यक्त किया गया।यह राहत कार्य सिर्फ भौतिक सहयोग नहीं, बल्कि मानवता और संवेदना की सशक्त अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है।
बैठक में राज्य सेनानी मंच के संयोजक चंद्रशेखर जोशी, प्रभात ध्यानी, इंद्र सिंह मनराल (लखनपुर स्पोर्ट्स क्लब), के.एस. अधिकारी (गर्जिया मंदिर समिति अध्यक्ष), जितेंद्र बिष्ट (पर्वतीय सभा सचिव), जिला पंचायत सदस्य हेमचंद्र नैनवाल, नवेंदु जोशी, चंद्रशेखर फुलारा, गोविंद सिंह बिष्ट, प्रेम नैनवाल सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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