
भक्ति, उल्लास और लोकधुनों से गूंजा पूरा जनपद — जिलाधिकारी बोले, ईगास हमारी एकजुटता और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक
उत्तरकाशी। देवभूमि उत्तराखंड की परंपरा और संस्कृति की झलक उस समय देखने को मिली जब पूरा उत्तरकाशी जनपद ईगास (बूढ़ी दीपावली) के उल्लास में सराबोर दिखा। कार्तिक शुक्ल एकादशी के अवसर पर मनाए गए इस लोकपर्व ने जिले को लोकगीतों, लोकनृत्य और दीपों की रोशनी से जगमग कर दिया।
रामलीला मैदान में पारंपरिक भैलो नृत्य और लोकधुनों ने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। चीड़ की लकड़ी और रस्सी से बनी मशालों की झिलमिलाती लौ के बीच ढोल-दमाऊं की थाप पर युवाओं और महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भैलो खेला — यह दृश्य उत्तराखंड की जीवंत लोकसंस्कृति का अनुपम उदाहरण बन गया।
ईगास पर्व की शुरुआत गंगा घाट पर जिलाधिकारी प्रशांत आर्य की उपस्थिति में भव्य गंगा आरती और दीप प्रज्ज्वलन से हुई। राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर घाट को दीपों से दुल्हन-सा सजा दिया गया। इस मौके पर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने पारंपरिक व्यंजन बनाकर संस्कृति की सुगंध को और गहरा कर दिया।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा — “ईगास हमारी गौरवशाली परंपराओं और आस्था का पर्व है। यह हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है और नई पीढ़ी को संस्कृति से परिचित कराता है।”
उन्होंने कहा कि लोकसंस्कृति के संरक्षण और प्रसार के लिए जिला प्रशासन हरसंभव प्रयास करेगा।
कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष रमेश चौहान, नगर पालिका अध्यक्ष भूपेंद्र चौहान, मुख्य विकास अधिकारी जय भारत सिंह, अपर जिलाधिकारी मुक्ता मिश्र, जिला समाज कल्याण अधिकारी सुधीर जोशी सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, अधिकारी और स्थानीय नागरिक मौजूद रहे।
रात्रि तक पूरे जनपद में ढोल-दमाऊं की थाप, दीपों की रोशनी और लोकगीतों की गूंज छाई रही — सचमुच, उत्तरकाशी ने ईगास को न सिर्फ मनाया बल्कि जी भी लिया।
रिपोर्ट:कीर्ति निधि सजवान, उत्तरकाशी।
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