
देहरादून।बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड सरकार ने प्रदेशभर में प्रतिबंधित कफ सिरप और औषधियों के खिलाफ सख्त अभियान शुरू किया है। स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) की संयुक्त टीमें प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल स्टोर्स, थोक विक्रेताओं और अस्पतालों की औषधि दुकानों पर छापेमारी कर रही हैं। यह अभियान राजस्थान और मध्य प्रदेश में खांसी की दवा (कफ सिरप) के सेवन से बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद शुरू किया गया।

केंद्र की एडवाइजरी पर तुरंत कार्रवाई:
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को आदेश जारी करते हुए कहा कि भारत सरकार की एडवाइजरी को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य सर्वोपरि हैं। औषधि निरीक्षक चरणबद्ध तरीके से कफ सिरपों के नमूने एकत्र कर उनकी गुणवत्ता जांच करेंगे ताकि किसी भी दोषपूर्ण या हानिकारक दवा को तुरंत बाजार से हटाया जा सके।
बच्चों के लिए प्रतिबंधित सिरप न लिखें डॉक्टर:
सभी चिकित्सकों से अनुरोध किया गया है कि वे बच्चों के लिए प्रतिबंधित कफ सिरप न लिखें। चिकित्सक यदि इन सिरपों को लिखेंगे तो मेडिकल स्टोर उन्हें बेचेंगे। इसलिए जिम्मेदारी से काम करना और प्रतिबंधित दवाओं से परहेज़ करना जरूरी है।
कौन सी दवाएं प्रतिबंधित हैं:
दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए।
पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग अनुशंसित नहीं है।
केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह, सही खुराक और न्यूनतम अवधि के लिए ही इनका उपयोग किया जा सकता है।
Dextromethorphan युक्त सिरप और Chlorpheniramine Maleate + Phenylephrine Hydrochloride संयोजन वाली दवाएं चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित हैं।
प्रदेशभर में छापेमारी और सैंपलिंग अभियान:
अपर आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन एवं ड्रग कंट्रोलर के नेतृत्व में राज्यभर में युद्धस्तर पर छापेमारी जारी है। सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों को सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और खुदरा दुकानों से सिरपों के नमूने लेकर प्रयोगशाला परीक्षण करवाने के निर्देश दिए गए हैं। दोष पाए जाने पर संबंधित कंपनी या विक्रेता के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जनस्वास्थ्य सर्वोपरि:
सरकार ने स्पष्ट किया कि बच्चों की सुरक्षा और जनता के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। प्रदेश में बिकने वाली हर दवा सुरक्षित और मानक गुणवत्ता वाली होगी। औषधि गुणवत्ता निगरानी प्रणाली को और सुदृढ़ किया जा रहा है।
जनता से अपील:
जनता से अनुरोध है कि डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को कोई दवा न दें। यदि किसी दवा के सेवन से कोई प्रतिकूल प्रभाव दिखे तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या अस्पताल से संपर्क करें।
लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें
👉 हमारे फ़ेसबुक पेज को लाइक/फॉलो करें







