
रामनगर।उत्तर प्रदेश में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद उत्तराखंड भी पूरी तरह सतर्क हो गया है। विश्वप्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व प्रशासन ने खतरे को देखते हुए वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
कॉर्बेट के जंगलों में पक्षियों की दर्जनों दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यही कारण है कि बर्ड फ्लू पक्षियों से होकर वन्यजीवों तक न पहुँचे, इसके लिए वनकर्मियों को चौकसी बढ़ाने और हर हालात पर नज़र रखने के निर्देश जारी किए गए हैं। यदि कहीं भी पक्षी का शव मिलता है तो तुरंत उच्चाधिकारियों को सूचना देकर उसका परीक्षण कराया जाएगा, ताकि संक्रमण की आशंका को फैलने से रोका जा सके।
खुराक से हटा चिकन – सतर्कता चरम पर
ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में रखे गए बाघ और तेंदुए की खुराक से चिकन को हटा दिया गया है। उनके भोजन को परोसे जाने से पहले गहन जांच की जा रही है। वहीं, रेस्क्यू सेंटर में कार्यरत कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए भी विशेष प्रबंध किए गए हैं।
कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि उत्तर प्रदेश की सीमावर्ती इलाकों में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद ही यह कदम उठाए गए हैं। वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दुष्यंत शर्मा को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो हालात पर निरंतर नज़र रखेंगे।
मानव और वन्यजीव दोनों के लिए खतरा
डॉ. बडोला ने कहा कि बर्ड फ्लू केवल इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि जंगली जानवरों में भी फैल सकता है। यही वजह है कि हर स्थिति में त्वरित कार्यवाही और चौकसी बरती जा रही है।
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