
रामनगर। भारत के प्रथम राष्ट्रीय उद्यान कॉर्बेट नेशनल पार्क ने गुरुवार को अपनी 89 वर्षों की स्वर्णिम यात्रा पूरी कर 90वें वर्ष में प्रवेश किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर आयोजित स्थापना दिवस समारोह ने वन्यजीव संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता, गौरवशाली विरासत और नई ऊर्जा का संकल्प दोहराया।

कार्यक्रम की शुरुआत धनगढ़ी स्थित शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर वन सेवा में बलिदान देने वाले वीर कर्मवीरों को नमन से हुई। इसके बाद जीआईसी ढिकुली के छात्र-छात्राओं ने वरिष्ठ अधिकारियों से संवाद किया और धनगढ़ी संग्रहालय का भ्रमण किया। इस दौरान छात्रों में उत्साह और गर्व का माहौल रहा।

धराली आपदा में दिवंगत आत्माओं को मौन श्रद्धांजलि दी गई। तत्पश्चात कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और यथार्थ ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संयुक्त तत्वावधान में गर्जिया परिसर में निःशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित हुआ, जिसमें 200 से अधिक लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व सभागार में “1936 से अनवरत संरक्षण की प्रेरक यात्रा” विषय पर विचार गोष्ठी “Corbett… Road Map to Future” आयोजित हुई। इसमें इको-टूरिज्म, सामुदायिक सहभागिता, स्टाफ कल्याण, संरक्षण एवं सुरक्षा, मानव-वन्यजीव संघर्ष और भविष्य के अनुसंधान की दिशा पर विचार साझा किए गए।

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक आर.के. मिश्रा ने कहा— “कॉर्बेट की संरक्षण यात्रा केवल अतीत की उपलब्धियों का स्मरण नहीं, बल्कि भविष्य के लिए मार्गदर्शन भी है। आने वाले वर्षों में हम इसे वैश्विक संरक्षण का आदर्श मॉडल बनाएंगे।”

निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने कहा— “यह स्थापना दिवस केवल उत्सव नहीं, बल्कि हमारे संकल्प को मजबूत करने का अवसर है, जिससे संरक्षण, स्थानीय भागीदारी और सतत पर्यटन नई ऊंचाइयों तक पहुंचे।”

कॉर्बेट नेशनल पार्क की यह यात्रा प्रकृति, वन्यजीव और मानव के सहअस्तित्व की अनोखी मिसाल है, जो 90वें वर्ष में और सशक्त संकल्प के साथ भविष्य की ओर बढ़ रही है।

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