
देहरादून।साइबर अपराधियों की नई चाल ‘डिजिटल अरेस्ट’ का शिकार बनकर 80 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक ने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई गंवा दी। ठगों ने खुद को सरकारी अफसर और क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने का डर दिखाया। लगातार तीन घंटे तक ऑनलाइन “पूछताछ” के नाम पर शिक्षक को दबाव में रखा और पत्नी समेत रिश्तेदारों की एफडी, पेंशन और SIP तुड़वाकर 59 लाख रुपये अपने खातों में ट्रांसफर करवा लिए।
कॉल से शुरू हुआ खेल
27 अगस्त को पीड़ित के मोबाइल पर कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को टेलीकॉम विभाग का कर्मचारी बताया और कहा कि उनके नाम पर मुंबई से निकला सिम कार्ड आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है। इसके बाद कॉल को कथित “क्राइम डिपार्टमेंट” से जोड़ दिया गया। वहां से शिक्षक को बताया गया कि वे एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़े हैं और उनके नाम पर भारी लेन-देन हुआ है।
3 घंटे का डिजिटल अरेस्ट
फर्जी अधिकारियों ने कहा कि उन पर 6 महीने से 5 साल तक की जेल हो सकती है। डर और धमकी से घबराकर वृद्ध शिक्षक ने पत्नी के खाते से लेकर अपनी एफडी, SIP और पेंशन तक तोड़कर रुपये ट्रांसफर कर दिए। रिश्तेदारों से उधार लिए पैसे भी ठगों के खातों में चले गए। जब ठग और रकम मांगने लगे तो परिजनों को शक हुआ और उन्होंने पुलिस में शिकायत करने की सलाह दी।
पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
साइबर क्राइम कंट्रोल सीओ अंकुश मिश्रा ने बताया कि पीड़ित की तहरीर पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। जिन खातों में रुपये गए हैं, उनका पता लगाया जा रहा है।
पुलिस की चेतावनी
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि “डिजिटल अरेस्ट” महज़ एक साइबर फ्रॉड है। कोई भी एजेंसी इस तरह वीडियो कॉल या फोन पर गिरफ्तार नहीं कर सकती। ऐसे कॉल पर विश्वास न करें, डरें नहीं और तुरंत 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज करें।
यह घटना साफ करती है कि साइबर ठग अब डिजिटल गिरफ्तारी जैसे नए हथकंडों से बुजुर्ग और आम लोगों को निशाना बना रहे हैं।
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