संपादकीय

नशे की बढ़ती लत युवा पीढ़ी के लिए विनाश का रास्ता

ख़बर शेयर करें

आज के आधुनिक दौर में युवा पीढ़ी जहां नई ऊंचाइयों को छू रही है, वहीं नशे की ओर उनका झुकाव समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। मनोरंजन और आधुनिकता की आड़ में शुरू हुआ यह सिलसिला धीरे-धीरे आदत में बदल जाता है और फिर लत का रूप ले लेता है।

युवाओं का नशे की ओर झुकाव

युवा अवस्था जोश और उत्साह का प्रतीक होती है, लेकिन गलत संगत, दिखावा, बेरोजगारी, मानसिक तनाव और फिल्मों या सोशल मीडिया का प्रभाव युवाओं को नशे की ओर धकेल रहा है। शुरुआत अक्सर सिगरेट, शराब या नशे की हल्की चीज़ों से होती है, लेकिन धीरे-धीरे यह ड्रग्स और अन्य खतरनाक पदार्थों तक पहुंच जाती है।

यह भी पढ़ें 👉  दमुवाढूंगा जंगल से महिला का संदिग्ध हालात में शव बरामद, दवाई लेने निकली थी घर से

नशे से होने वाले नुकसान

नशा केवल व्यक्ति की ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार और समाज की जड़ों को खोखला कर देता है।

आर्थिक नुकसान : नशे के पीछे भारी-भरकम धन खर्च होता है।

सामाजिक नुकसान : परिवार का आपसी विश्वास और रिश्ते टूटने लगते हैं।

व्यक्तिगत नुकसान : शिक्षा और करियर चौपट हो जाते हैं।

नशे से होने वाली बीमारियां

नशा शरीर और दिमाग पर सीधा असर डालता है। यह कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है, जैसे—

फेफड़ों और हृदय की बीमारियां

लीवर सिरोसिस

कैंसर

मानसिक रोग (डिप्रेशन, चिंता, पागलपन)

याददाश्त की कमजोरी और आत्महत्या की प्रवृत्ति

जिंदगी पर असर

नशे की लत व्यक्ति की दिनचर्या, सोच और जीवन के उद्देश्य को बदल देती है। नशेड़ी अपनी जिम्मेदारियों से भागने लगता है। उसका आत्मविश्वास खत्म हो जाता है और समाज में उसकी प्रतिष्ठा गिर जाती है। कई बार नशा अपराधों और हिंसा को भी जन्म देता है।

यह भी पढ़ें 👉  9 वर्षीय मासूम की कोबरा के डंसने से दर्दनाक मौत, गोजानी में मचा कोहराम

नशे से छुटकारा कैसे पाए?

संकल्प और आत्मनियंत्रण : सबसे पहला कदम है नशा छोड़ने का दृढ़ संकल्प लेना।

परिवार का सहयोग : परिवार का भावनात्मक साथ नशा छोड़ने में मदद करता है।

काउंसलिंग और थेरेपी : मनोचिकित्सक और परामर्शदाताओं की मदद ली जानी चाहिए।

रीहैब सेंटर : नशा मुक्ति केंद्र व्यक्ति को सही माहौल और उपचार प्रदान करते हैं।

व्यायाम और योग : नियमित योग, ध्यान और खेलकूद से मानसिक व शारीरिक शक्ति बढ़ती है।

डॉक्टर और बुद्धिजीवियों का मत

विशेषज्ञों का कहना है कि नशा केवल शारीरिक बीमारी नहीं बल्कि एक मानसिक और सामाजिक समस्या है। डॉ. विशेषज्ञों के अनुसार, नशे से लड़ने के लिए समाज को जागरूक होना होगा और युवाओं को सही दिशा देनी होगी। बुद्धिजीवी वर्ग मानता है कि शिक्षा, रोजगार और सकारात्मक गतिविधियों से ही युवा पीढ़ी को नशे से दूर रखा जा सकता है।

यह भी पढ़ें 👉  आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण,गंगोत्री–यमुनोत्री मार्ग पर अपर जिलाधिकारी मुक्ता मिश्र का दौरा, ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान का दिया आश्वासन

निष्कर्ष

नशा क्षणिक सुख तो दे सकता है, लेकिन यह जीवन को बर्बादी की ओर ले जाता है। युवा पीढ़ी को समझना होगा कि उनका भविष्य उनके हाथों में है। अगर वे नशे की लत से बचकर अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं, तो वे समाज और देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।