
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रामनगर के पुछड़ी गांव के करीब 250 मकानों को तोड़े जाने के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए प्राधिकरण से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन किए बिना कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।
ग्रामीणों को मिली बड़ी राहत
नैनीताल जिला विकास प्राधिकरण ने 30 जुलाई 2025 को नोटिस जारी कर कहा था कि पुछड़ी गांव की जमीन मास्टर प्लान-1986 के तहत हरित क्षेत्र घोषित है, इसलिए यहां बने मकान और दुकानें 15 दिन के भीतर खुद तोड़ने होंगे।
प्रभावित ग्रामीणों ने इस नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी और दलील दी कि नोटिस सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के खिलाफ है।
ग्रामीणों का पक्ष
ग्रामीणों के वकील ने कोर्ट को बताया कि—
नगर नियोजन विकास अधिनियम 1973 के अनुसार यदि 10 साल तक जमीन का अधिग्रहण नहीं होता तो उसे ओपन स्पेस नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट की 2024 और 2025 की गाइडलाइन कहती है कि निजी अतिक्रमण हटाने से पहले विस्तृत नोटिस देना जरूरी है, जिसमें भवन स्वामी और जमीन का पूरा ब्यौरा भी शामिल हो।
कोर्ट की सख्ती और प्राधिकरण का जवाब
कोर्ट ने प्राधिकरण से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया और क्यों न अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए।
इस पर प्राधिकरण ने कहा कि वे अब सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन करेंगे और तब तक किसी भी मकान को तोड़ने की कार्रवाई नहीं करेंगे।
पोर्टल से होगी सुनवाई
कोर्ट ने निर्देश दिया कि डीएम की देखरेख में एक पोर्टल बनाया जाए, जहां सभी प्रभावित पक्षों की बात सुनी जाए। बिना पक्षों को सुने कोई कार्रवाई नहीं होगी।
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