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राज्य आंदोलनकारियों ने जताया आक्रोश, कहा— राज्य की अवधारणा आज भी अधूरी

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मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जताई नाराज़गी, शहीदों के सपनों को साकार करने का लिया संकल्प

रामनगर।उत्तराखंड राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने के बावजूद भी राज्य की मूल अवधारणा से जुड़े सवाल अनसुलझे रहने पर राज्य आंदोलनकारियों में गहरा आक्रोश है। आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नाराज़गी जताई है और कहा कि जिन सपनों के लिए राज्य आंदोलन चला, वे अब तक अधूरे हैं।

लखनपुर स्पोर्ट्स क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी, चंद्रशेखर जोशी, पुष्कर दुर्गापाल और इंद्र सिंह मनराल ने कहा कि मुख्यमंत्री के राज्य स्थापना सम्मेलन में न आने से आंदोलनकारियों की भावनाओं को ठेस पहुँची है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी असंतोष व्यक्त किया।

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आंदोलनकारियों ने घोषणा की कि 26वाँ राज्य स्थापना दिवस “सामाजिक एकता और सद्भावना दिवस” के रूप में मनाया जाएगा। उनका कहना था कि राज्य की राजधानी निर्धारण, जल-जंगल-जमीन के अधिकार, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, पलायन, विस्थापन, जंगली जानवरों का आतंक, नशे के बढ़ते कारोबार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर सरकार की कोई ठोस नीति नहीं बन पाई है, जिससे राज्य निर्माण की मूल भावना समाप्त होती जा रही है।

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राज्य आंदोलनकारी सेनानी मंच के संयोजक चंद्रशेखर जोशी ने कहा कि आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तरह सम्मान और सुविधाएँ दी जानी चाहिए। साथ ही, 10% क्षैतिज आरक्षण का लाभ अब तक न मिलने पर भी गहरी नाराज़गी जताई। उन्होंने चिन्हीकरण से वंचित आंदोलनकारियों के लिए नई समयसीमा तय करने की मांग की।

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सम्मेलन में अनिल अग्रवाल, इंदर सिंह मनराल, नवीन नैथानी, योगेश सती, राजेंद्र खुल्वै, पीतांबरी रावत, सुमित्रा बिष्ट, प्रभात ध्यानी और पुष्कर दुर्गापाल समेत कई राज्य आंदोलनकारी उपस्थित रहे।
आंदोलनकारियों ने जनता से अपील की कि वे आगे बढ़कर उत्तराखंड को बचाने के लिए एकजुट हों।