
रामनगर।तराई पश्चिमी वन प्रभाग के गश्तीदल को गश्त के दौरान एक सप्ताह पूर्व घायल अवस्था में एक बाघिन मिली जिसके बाद रेस्क्यू टीम द्वारा रेस्क्यू किया गया और उपचार के लिए उसे ढेला रेस्क्यू सेंटर लाया गया।जहां पशु चिकित्सकों द्वारा उसका उपचार किया।एक सप्ताह तक चले बाघिन के उपचार से बाघिन पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गई।जिसके पश्चात बाघिन को उसी वास्थल में छोड़ दिया गया जहां से उसे रेस्क्यू किया गया था।

कॉर्बेट प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार एक सप्ताह पूर्व तराई पश्चिमी वन प्रभाग के फोटो जोन में गश्तीदल को गश्त के दौरान एक बाघिन घायल अवस्था में दिखाई दी।बाघिन के चलने फिरने में दिक्कत दिखाई दे रही थी।तत्पश्चात गश्तीदल ने इसकी सूचना अपने विभाग के प्रभागीय वनाधिकारी को दी गई।मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रभागीय वनाधिकारी प्रकाश चंद्र आर्या ने इसकी जानकारी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ.साकेत बडोला को दी गई।कॉर्बेट निदेशक ने तुरन्त एक रेस्क्यू टीम का गठन किया और उनके निर्देशानुसार घायल बाघिन के रेस्क्यू की तैयारी शुरू कर दी गई।
गठित रेस्क्यू टीम द्वारा घायल बाघिन का रेस्क्यू सफलता पूर्वक कर लिया गया।जिसके बाद बाघिन की जांच और उपचार के लिए ढेला रेस्क्यू सेंटर लाया गया, जहाँ वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दुष्यन्त शर्मा ने जांच की एक्सरे और रक्त जांच के बाद चोट व शारीरिक स्थित का मूल्यांकन किया।जिसके पश्चात बाघिन का उपचार शुरू किया गया।बाघिन को दर्द निवारक दवाएं,एंटीबायोटिक उपचार और आवश्यक सपोर्टिंग थेरेपी सहारा लिया गया।एक सप्ताह तक बाघिन के खानपान और उसके व्यवहार की निरंतर निगरानी गई।जिस कारण घायल बाघिन के स्वास्थ्य में सुधार होता चला गया।एक सप्ताह में पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद 08 मई को बाघिन को उसकी स्थान पर छोड़ दिया गया जिस स्थान से उसे रेस्क्यू कर लाया गया था।
इस सफल रेस्क्यू एवं बाघिन के उपचार के बाद स्वस्थ होने पर रेस्क्यू टीम को कॉर्बेट के निदेशक और तराई पश्चिमी वन प्रभाग डीएफओ द्वारा बधाई दी।
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