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रामनगर प्रतिबंधित मांस बवाल : पुलिस ने दो और आरोपियों को दबोचा, अब तक चार जेल भेजे गए

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रामनगर। नैनीताल जिले के रामनगर में प्रतिबंधित मांस प्रकरण में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। शनिवार को कोतवाली पुलिस ने दो और आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इस तरह अब तक कुल चार आरोपी सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं।

कोतवाल सुशील कुमार ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान ग्राम कंचनपुर छोई निवासी विशाल उर्फ विकास और ग्राम टेढ़ा निवासी संजू उर्फ श्याम सिंह के रूप में हुई है। दोनों को पूछताछ के बाद न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया।

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23 अक्टूबर को भड़का था बवाल

यह मामला 23 अक्टूबर का है, जब रामनगर में एक पिकअप वाहन में कथित प्रतिबंधित मांस पकड़े जाने की सूचना पर माहौल तनावपूर्ण हो गया था। मौके पर जमकर हंगामा हुआ और वाहन चालक के साथ मारपीट की गई थी।

पीड़ित चालक की पत्नी की तहरीर पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 109 (गंभीर चोट पहुंचाना) और 190 (अवैध हमला व हिंसा) के तहत मुकदमा दर्ज किया था।

कोतवाल ने बताया कि पहले ही दो आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं, जबकि शनिवार को दो और को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। शेष आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं और पुलिस घटना से जुड़े साक्ष्य भी जुटा रही है।

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हाईकोर्ट ने उठाए सवाल, जांच के आदेश

गौरतलब है कि हाल ही में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने वीडियो साक्ष्यों को देखने के बाद पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि घटना की निष्पक्ष जांच की जाए और यह भी पता लगाया जाए कि “इस विवाद से किसके व्यावसायिक हितों की पूर्ति की जा रही थी।”

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कोर्ट ने टिप्पणी की कि मामला “वैचारिक नहीं, बल्कि व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम” प्रतीत होता है। साथ ही, कोर्ट ने पुलिस कर्मचारियों, बैलपड़ाव चौकी इंचार्ज और कालाढूंगी एसओ की भूमिका की भी जांच के आदेश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने यह भी पूछा कि जब वीडियो में अभियुक्तों के चेहरे साफ दिखाई दे रहे हैं, तो पुलिस ने अब तक सभी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया। साथ ही, उस मुखबिर की पहचान का भी पता लगाने के निर्देश दिए गए हैं, जिसने गलत सूचना देकर भीड़ को भड़काया था।