
नैनीताल। बैलपड़ाव और रामनगर में 23 अक्टूबर को गोमांस के आरोप में हुए तोड़फोड़ मामले ने अब न्यायालय में नई करवट ले ली है। अल शिफा ट्रेडिंग कंपनी, जिनके पिकअप ट्रक पर बैलपड़ाव पुलिस चौकी में तोड़फोड़ हुई थी, ने सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े वीडियो की समीक्षा के बाद पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह घटना वैचारिक नहीं, बल्कि व्यवसायिक प्रतिद्वंद्वियों के पीछे के खेल का प्रतीत होती है। अदालत ने इस मामले में साजिशकर्ताओं के उद्देश्यों की जांच के आदेश भी दिए हैं।
कोर्ट ने बैलपड़ाव इंचार्ज और कालाढुंगी एसओ की नाकामी की भी जांच कराने के निर्देश दिए। अदालत ने सवाल किया कि जब वीडियो में अभियुक्तों के चेहरे साफ दिख रहे हैं, तो पुलिस उन्हें अब तक क्यों गिरफ्तार नहीं कर पाई।
साथ ही, रामनगर के छोई में भीड़ द्वारा पीटे गए दूसरे ड्राइवर की पत्नी नूरजहां के मामले को भी सुनवाई में शामिल करते हुए पुलिस से प्रगति रिपोर्ट मांगी गई है। कोर्ट ने कालाढुंगी पुलिस को यह निर्देश भी दिए कि यदि वैध मीट ट्रांसपोर्टर उन्हें 24-48 घंटे पहले सूचना देंगे, तो चालक और क्लीनर की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
पुलिस के अधिवक्ता ने शेष अभियुक्तों को शीघ्र गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया। अदालत ने उस मुखबिर की पहचान करने के लिए भी पुलिस को निर्देशित किया, जिसने भीड़ को गलत सूचना देकर उकसाया था।
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