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रामनगर में राज्य स्थापना दिवस पर सामाजिक एकता का संदेश, शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि

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रामनगर।राज्य निर्माण आंदोलनकारी एवं सेनानी संगठन ने शहीद पार्क लखनपुर में राज्य निर्माण आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राज्य स्थापना दिवस को सामाजिक एकता एवं सद्भाव दिवस के रूप में मनाया। इस अवसर पर सभी उपस्थित लोगों ने सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना पढ़कर एकजुटता का संदेश दिया।

सम्मेलन की अध्यक्षता संगठन के संयोजक चंद्रशेखर जोशी ने की, जबकि पुष्कर दुर्गापाल और अनिल अग्रवाल ने संयुक्त संचालन संभाला। राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी ने कहा कि राज्य स्थापना दिवस केवल उत्सव का दिन नहीं बल्कि सामाजिक एकता और सद्भाव बनाए रखने का दिन है। उन्होंने चेतावनी दी कि वर्तमान में धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बांटने की कोशिशें की जा रही हैं, जिससे सामाजिक एकता कमजोर हो रही है। प्रभात ध्यानी ने कहा कि हर व्यक्ति और संगठन को सतर्क रहकर इन साजिशों को विफल करना चाहिए।

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सम्मेलन में खटीमा गोलीकांड के शहीदों का विशेष स्मरण किया गया, जिनमें प्रताप सिंह, भगवान सिंह, सलीम अहमद और परमजीत सिंह शामिल थे। जनकवि बल्लि सिंह चीमा ने अपने गीतों के माध्यम से लोगों को एकजुट होने और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की। कमला जोशी, दिनेश उपाध्याय और मेघा ने लोकगीतों के माध्यम से उत्तराखंड की वर्तमान स्थिति पर ध्यान आकर्षित किया।

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इस अवसर पर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पी.सी. तिवारी, राजस्थान के पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री सुभाष महरिया सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।

नगरपालिका अध्यक्ष हाजी मोहम्मद अकरम, सभासद खष्टीनंदन जोशी, सचिन कुमार पुच्ची और कुबेर सिंह अधिकारी ने राज्य निर्माण आंदोलन एवं सामाजिक क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया। सम्मानित लोगों में श्रीमती सुमित्रा बिष्ट, कमला जोशी, अनीता सती, देवकी असनोडा, निर्मला सती, मोहिनी पांडे, माया चिलवाल, सरोज नेगी, और अन्य शामिल थे।

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सम्मेलन में बड़ी संख्या में नागरिक, समाजसेवी और राजनैतिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिनमें इंद्र सिंह मनराल, योगेश सती, हेमचंद पाठक, दीपचंद्र तिवारी, मोहन राम, अमिता लोहनी, और कई अन्य प्रमुख लोग शामिल थे।

इस कार्यक्रम ने राज्य स्थापना दिवस के महत्व को सामाजिक एकता और सद्भाव के संदर्भ में रेखांकित किया और यह संदेश दिया कि केवल साझा प्रयासों से ही किसी भी साजिश को विफल किया जा सकता है।