सुभाष बड़ोनी, उत्तरकाशी:
उत्तरकाशी।माँ गंगा को विश्व में सबसे शुद्ध जल माना जाता है। इस जल के वैज्ञानिक प्रमाण भी है।गोमुख से गंगा (भागीरथी) निकलती है,और गंगा सागर में विलीन हो जाती है। माँ गंगा के जल के लिए कई श्रद्दालु गोमुख व् गंगोत्री धाम आते है गंगा जल कि खासियत है कि ये जल कई वर्षो तक अपनी शुध्दता नहीं खोता है।लेकिन उत्तरकाशी जिले के गंगा किनारे को डम्पिंग ग्राउंड बना कर उसमें कूड़ा डाला जाता है और यह कूड़ा गंगा में गिर कर गंगा को दूषित कर रहा है।शासन-प्रशासन इस पर सब बेखबर है।
बता दे कि उत्तरकाशी को माँ गंगा मायका माना जाता है यही से ही माँ गंगा गोमुख से निकल कर गंगा सागर कि और जाती है। उत्तरकाशी से कितनी शुध्द जाती है गंगा ये देखने का विषय बना हुआ है। उत्तरकाशी जिले में गंगा किनारे को कूड़ा स्थल बना रखा है। आये दिन यह कूड़ा गंगा नदी में धीरे-धीरे गिरता रहता है। जिससे यह जल यही से दूषित होकर नीचे कि और जा रहा है साफ देखा जा सकता है।
वही इस मामले में पर्यावरण विशेषज्ञ शम्भू प्रसाद नोटियाल का मानना है कि गंगा नदी किनारे हो रहा अतिक्रमण व कचरा स्थल दोनो ही गंगा को दूषित करने का काम कर रहे है।शासन-प्रशासन को इसे रोकने के आवश्यकता है।क्योंकि गंगा नदी का जल दूषित होने से नदी में मौजूद जलीय प्राणियों पर खतरा बना हुआ है,कई जलीय जन्तुओ की प्रजाति विलुप्त हो चुकी है।गंगा के जल को स्वच्छ रखने के लिए जलीय जन्तु अहम भूमिका निभाते है।उनका मानना है कि गंगा नदी को स्वच्छ बनाये रखने के लिए सरकार और प्रशासन के साथ-साथ आमजन को भी जागरूक होना पड़ेगा।
सरकार गंगा के जल को स्वच्छ बनाये रखने के लिए दावे करती है।अरबो रुपया गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए खर्च किया जाता रहा है। मगर इस पर कार्य नाममात्र का देखने को मिलता है।उत्तरकाशी शहर का कूड़ा इसका साक्षात गवाह है,जो प्रतिदिन गंगा नदी में समा रहा है।उत्तरकाशी प्रशासन मुखदर्शक बन कर मोन बैठा है।सवाल उठता है कि क्या कभी माँ गंगा का अस्तित्व स्वच्छ होगा?या कुर्सी के लिए माँ गंगा के नाम का सहारा लेकर राजनीति होती रहेगी।
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