अल्मोड़ा/सल्ट-जनता के वोटो की ताकत से हासिल राजनैतिक ताकत को हमारे जनप्रतिनिधि किस तरह से अपने निजी हित में इस्तेमाल करते हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण देखना हो तो आपको उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद की सल्ट विधानसभा का रुख करना पड़ेगा।
इस विधानसभा से जनता का वर्तमान में प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक सुरेन्द्र सिंह जीना ने निजी हित के लिये इलाके की हजारो की संख्या की आबादी के स्वास्थ्य की सुपारी लेते हुये उनके स्वास्थ्य की देखरेख करने वाले दो सरकारी अस्पतालो को निजी क्षेत्र के हवाले करने का षडयंत्र रच डाला। केन्द्र सरकार द्वारा एक-एक करके सरकारी सेवाओ को निजी हाथो में सौंपने की कवायद से उत्साहित सल्ट के विधायक ने शर्म के सारे पर्दे हटाते हुये मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इन अस्पतालो को निजी क्षेत्र के हवाले करने की मांग करते हुये बकायदा खुद ही एक निजी क्षेत्र के अस्पताल को चिन्हित करते हुये उसकी सिफारिश भी सरकार से कर डाली।
पाठको को बताते चलें कि सल्ट विधानसभा की करीब एक लाख की आबादी के स्वास्थ्य का जिम्मा वर्तमान में देवायल व देघाट के दो सामुदायिक अस्पतालो पर निर्भर है, जहां पर सरकारी मानको के चिकित्सा की सुविधा कभी भी नहीं रही। हर विधानसभा चुनाव में झोली भर-भरकर वोट देकर अपना विधायक सुरेन्द्र सिंह जीना को चुनने वाली जनता का दुर्भाग्य रहा कि तीन बार विधायक रहने के बाद भी जीना ने कभी भी इन अस्पतालो का हालत सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया। जिसके चलते इन दोनो अस्पतालो में आने वाले रोगियो को टूटी-फूटी स्वास्थ्य सेवाएं ही मिल पा रही थी। इन अस्पतालो की दयनीय हालत यह है कि यहां पहुंचने वाले मामूली रोगियो को भी अधिकतर उपचार के लिये हायर सेन्टर, जो कि यहां से करीब सौ किमी दूर रामनगर है के लिये ही रैफर किया जाता रहा है। लेकिन मौजूदा भाजपा विधायक सुरेन्द्र सिंह जीना ने सल्ट क्षेत्र की जनता को मिलने वाली मामूली स्वास्थ्य सुविधाएं भी जनता से छीनने का मंसूबा बनाते हुये इसको हल्द्वानी के अपने चहेते ‘कल्याण हास्पिटल’ के हवाले करने की ठान ली है। विधायक जीना ने इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर देवायल व देघाट के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो को हल्द्वानी के कल्याण हास्पिटल को सौंप दिये जाने की जोरदार पैरवी की है। इतना ही नहीं विधायक ने जल्दबाजी करते हुये इसके लिये निजी अस्पताल से बकायदा प्रस्ताव भी मंगवा लिया है। फिलहाल विधायक के इस प्रस्ताव पर शासन स्तर से दोनो अस्पतालो को पीपीपी मोड में दिये जाने के लिये स्वास्थ्य महानिदेशक को कार्यवाही करने के निर्देश दिये जा चुके हैं।
हालांकि विधायक जीना ने इन अस्पतालो को पीपीपी मोड में दिये जाने के लिये बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दिलाये जाने का पैंतरा फेंका है लेकिन यदि सरकार द्वारा पूर्व में पीपीपी मोड में दिये गये अस्पतालो की हालत को देखें तो यह जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिलाये जाने का कम बल्कि कल्याण हास्पिटल हल्द्वानी के एजेन्ट इन अस्पतालो में बैठाये जाने की प्रयास अधिक लगता है जिससे इन अस्पतालों में आने वाले रोगियो को सीधे रामनगर के बजाये हल्द्वानी के अपने अस्पताल में भेजा जा सके।
एक ओर जहां विधायक सरकारी सुविधाओं को निजी क्षेत्र के हवाले करने पर उतारु हैं तो दूसरी ओर इसकी जानकारी मिलने पर इलाके की जनता ने विधायक के इस निर्णय के खिलाफ विद्रोह कर दिया है।
सेवानिवर्त्त शिक्षक गोविंद बल्लभ उपाध्याय के संयोजन में गठित सल्ट विकास संघर्ष समिति के तत्वाधान में लोगो ने इस योजना का विरोध करते हुये धरना-प्रदर्शन करना शुरु कर दिया है। इस मामले में समिति के नारायण सिंह रावत ने बताया कि विधायक का यह कदम लाखों की आबादी को जान-बूझकर खतरे में डालने वाला है। सरकार पूरी तरह से बेशर्मी के साथ निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने में लगी है। जबकि लोगों की ज़िंदगी पहले से भी और ज्यादा बदहाल हो रही है। किसी भी कीमत पर इन अस्पतालों को निजी क्षेत्र में नहीं जाने दिया जाएगा।
कांग्रेस की सरकार में बदले जायेंगे जनविरोधी फैसलेः रणजीत रावत
इस मामले में सल्ट के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत का कहना है कि भाजपा की केन्द्र व राज्य सरकार इन दिनो अपनी हर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने में लगी है। संविधान की ‘कल्याणकारी राज्य’ की अवधारणा को तार-तार करते हुये सभी सार्वजनिक सुविधाओं का निजीकरण किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि रामनगर सहित कुमाऊं व गढ़वाल मण्डल के कई अस्पतालों को निजी हाथो में दे चुकी भाजपा की राज्य सरकार अब सल्ट क्षेत्र की बची-खुची स्वास्थ्य सेवाओं को भी अपने चहेतो के हवाले करके जनता को उसके हाल पर छोड़ने के मंसूबे बना रही है। कांग्रेस के सत्ता मंे आने के बाद ऐसे सभी जनविरोधी फैसलो को तत्काल प्रभाव से बदलकर जनहित की योजनाएं लागू की जायेंगी।
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