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संघर्ष समिति द्वारा 31 दिसंबर को कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढेला और झिरना जोन बंद करने के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए ग्रामीणों से की अपील

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रामनगर(उत्तराखंड):जंगली जानवरों व बंदरों से  इंसानों, मवेशियों तथा फसलों की सुरक्षा, जंगली जानवरों के हमले में मारे गए व्यक्ति के परिजनों को 25 लाख रुपए मुआवजा और घायल के संपूर्ण इलाज की गारंटी व 10 लाख रुपए मुआवजा देने आदि मांगों को लेकर प्रस्तावित 31 दिसंबर को कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढेला-झिरना जोन बंद को सफल बनाने के लिए संघर्ष समिति द्वारा आज ग्राम कानिया, सावल्दे, बासीटीला, हिम्मतपुर डोटियाल आदि गांव में जनसंपर्क किया गया तथा जनता से अधिक से अधिक संख्या में आंदोलन में भागीदारी करने की अपील की।

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इस दौरान समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने क्षेत्र के पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों से सहयोग एवं समर्थन की अपील की। उन्होंने कहा कि पिछले दो माह में भीमताल व रामनगर क्षेत्र में महिलाओं समेत 7 लोग टाइगर द्वारा मारे गए हैं तथा लगभग आधा दर्जन लोग घायल हो चुके हैं। टाइगर व तेंदुए जैसे हिंसक जानवर लोगों के घरों तक आ रहे हैं बच्चे आंगन से उठाकर ले जा रहे हैं परंतु सरकार और प्रशासन का कोई भी प्रतिनिधि ग्रामीणों की सुरक्षा के इस सवाल का समाधान करने के लिए तैयार नहीं है। यही कारण है कि मजबूर होकर कार्बेट पार्क बंद करने का निर्णय लेना पड़ा है। 

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 महेश जोशी ने कहा कि कल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ढिकुली के एक आलीशान रिसोर्ट में रुके थे परंतु वे टाइगर के हमले में घायल और मृतकों के घर संवेदना व्यक्त करने तक नहीं गए। यदि मुख्यमंत्री ने जंगली जानवरों से प्रभावित लोगों की समस्या के समाधान की ओर कदम बढ़ाया होता तो जनता को पार्क बंद करने जैसा निर्णय नहीं लेना पड़ता। 

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संघर्ष समिति ने कहा कि सरकार यदि 30 दिसंबर तक ग्रामीणों की समस्या का समाधान प्रस्तुत करती है तो कार्बेट पार्क बंद का निर्णय वापस लिया जा सकता है।

इस दौरान प्रियांशु जोशी ,सोबन तडियाल, धारा बल्लभ  पांडे ,संजय मेहता ,ललित मोहन पांडे ,दीप कुमार जोशी ,ललित उप्रेती ,आशु पांडे आदि रहे ।