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इस जिले के राजकीय इंटर कॉलेज में छात्राओं के अचानक झूमने चीखने चिल्लाने से मचा हड़कंप तीन छात्राएं जिला अस्पताल में भर्ती

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बागेश्वर(उत्तराखंड):जिले की काफलीगैर तहसील के असों मल्लाकोट के राजकीय इंटर कॉलेज में उस समय हड़कम्प मच गया जब अचानक स्कूल की लगभग 10 छात्राएं चीखने चिल्लाने लगी और बदहवास हो गई।इस प्रकार की घटनाओं को विशेषज्ञ मास हिस्टीरिया की मानते है।जबकि पहाड़ में होने वाली इन मास हिस्टीरिया की घटनाओं को लोग भूत प्रेत देवता आदि से देखकर जोड़ते हैं।

घटना बुधवार काफलीगैर तहसील के असों मल्लाकोट राजकीय इंटर कॉलेज की है।स्कूल में पढ़ने वाली दस छात्राएं पढ़ाई के दौरान अचानक झूमने और चीखने चिल्लाने लगी।स्कूल टीचरों ने छात्राओं को समझाने और संभालने का प्रयास किया।जानकारी मिलने पर छात्राओं के अविभावक भी स्कूल पहुंच गए और छात्राओं को अपने साथ घर ले गए।घर पहुंचने पर भी कुछ देर तक छात्राओं का चीखने-चिल्लाना जारी रहा।लेकिन उसके बाद वह शांत हो गई।

आज बृहस्पतिवार को भी स्कूल में छात्राओं का चीखना चिल्लाना फिर से शुरू हो गया।यह सभी बालिकाएं असों और आसपास के गांव की रहने वाली हैं।गांव के ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ विभाग को इस घटना की जानकारी दी गई थी।परन्तु स्वास्थ विभाग की टीम मामले का संज्ञान लेने नही पहुंची।

वही इस मामले पर सीएमओ डॉ. डीपी जोशी के मुताबिक बुधवार देर शाम मामला संज्ञान में आया था। जिसके बाद आज बृहस्पतिवार को विद्यालय में चिकित्सा स्टाफ भेजा गया है।सीएमओ डॉ. डीपी जोशी के अनुसार पूरा मामला मास हिस्टीरिया का लग रहा है। विद्यालय में भेजी गई विभाग की टीम में काउंसलर भी मौजूद हैं। टीम द्वारा छात्राओं की काउंसलिंग भी की गई है। आज जो चार बच्चे बीमार हुए हैं।उसमें से तीन जिला अस्पताल में भर्ती हैं।जिला अस्पताल की डॉक्टर भावना ने बताया कि तीन छात्राएं जिला अस्पताल में हैं जिनका इलाज किया जा रहा है।इलाज के बाद ही कुछ कह पाना संभव होगा।

उत्तराखंड के सुदूरवर्ती स्कूलों में भी स्कूली बच्चे अक्सर मास हिस्टीरिया का शिकार होते रहते हैं। ऐसी घटनाएं पहाड़ों के सुदूरवर्ती स्कूलों में कम उम्र की बालिकाओं के साथ अधिक होती हैं। चिकित्सकीय भाषा में चिकित्सक इसे मास हिस्टीरिया बोलते हैं, जिसमें किसी एक प्रभावित को देखकर उसके साथ की अन्य छात्राएं भी मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित छात्रा से जुड़ाव के कारण अपने को भी अवचेतन अवस्था में उसी स्थिति में ले आती है। इस प्रकार की घटनाएं राज्य के नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चमोली आदि जिलों के सरकारी विद्यालयों से सामने आ चुकी है। नैनीताल जिले के कोटाबाग ब्लॉक के डोला गांव के माध्यमिक विद्यालय में तो वर्ष 2010 में हुई ऐसी एक घटना के बाद विद्यालय में ही जागरिये को बुलाकर ग्रामीणों ने पूजा-पाठ कराकर कथित देवता को शांत कराया था। जबकि बागेश्वर जिले के रैखोली में जूनियर हाईस्कूल में भी बीते साल 27 जुलाई 2022 को कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला था।

विशेषज्ञ की राय है कि पहाड़ में होने वाली इन मास हिस्टीरिया की घटनाओं को लोग भूत प्रेत देवता आदि से देखकर जोड़ते हैं। लेकिन विशेषज्ञ इससे अलग राय रखते हैं। एम्स नई दिल्ली के पूर्व मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीनिवास राजकुमार के मुताबिक उत्तराखंड के स्कूलों में होने वाली यह घटनाएं भूत बाधाएं नहीं बल्कि हिस्टीरिया की बीमारी है। यह एक मेंटल डिसऑर्डर है। जिसे अब डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर कहा जाता है। इसमें लोगों के बर्ताव में एकदम से बदलाव आ जाता है। उदाहरण के तौर पर जब जागरण होते हैं तो एक महिला भक्ति के गानों पर काफी देर तक नाचती है। उसे देखकर अन्य महिलाएं भी नाचने लगती हैं। इस बीच कोई एक महिला अचानक सिर पटकने लगती और बेहोश भी जाती है। आम भाषा में इसे लोग माता आना कह देते हैं। जबकि यह हिस्टीरिया की वजह से होता है। इसमें महिला की मानसिक स्थिति में कुछ देर के लिए परिवर्तन हो जाता है और वह किसी पुरानी घटना को याद करके ऐसा करते हुए अपने मन के गुबार को बाहर निकालती है।हिस्टीरिया का सबसे बड़ा कारण है मानसिक ट्रॉमा होता है। पुरानी जिंदगी में कुछ दुखद घटना या बड़ा लॉस हुआ हो तो उसको याद करके ऐसा होता है। अचानक ही दिमाग में सभी पुरानी घटना एक साथ आने लगती है और दौरा पड़ता है। अमूमन यह ट्रॉमा बचपन में होने वाला शारीरिक, मानसिक शोषण के कारण होता है।