
देहरादून।उत्तराखंड की राज्याधीन सेवाओं में शासन के द्वारा छः माह की अवधि के लिए हड़ताल पर पाबंदी लगाई गई है।
सचिव कार्मिक शैलेश बगोली द्वारा इस संबंध में बुधवार को एक अधिसूचना जारी की गई है। अधिसूचना के अनुसार लोकहित में उ. प्र.अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 (उत्तराखण्ड राज्य में यथा प्रवृत्त) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन इस आदेश के निर्गत होने के दिनांक से छः मास की अवधि के लिए राज्याधीन सेवाओं में हड़ताल निषिद्ध की गई है।
सरकार का यह निर्णय राज्याधीन सभी सेवाओं पर प्रभावी रूप से लागू होगा। अधिसूचना ने विशेष रूप से स्पष्ट किया है कि उपनल के माध्यम से कार्यरत कर्मचारी भी इस निर्णय के दायरे में आते हैं। राज्य के विभिन्न विभागों में बड़ी संख्या में संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारी उपनल के जरिए तैनात हैं, जो समय-समय पर अपनी मांगों को लेकर सामूहिक अवकाश या कार्य बहिष्कार की चेतावनी देते रहे हैं। अब शासन का यह कदम उपनल कर्मचारियों की संभावित हड़तालों और काम छोड़ो आंदोलनों पर प्रभावी रोक के रूप में सामने आएगा।
पिछले कुछ महीनों में स्वास्थ्य, ऊर्जा, परिवहन, निगमों और तकनीकी सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों ने वेतनमान, सेवा सुरक्षा और नियमितीकरण जैसी मांगों को लेकर कई बार आंदोलन की स्थिति पैदा की थी। सरकार ने इसे सार्वजनिक सेवाओं में बाधा के रूप में देखा और अत्यावश्यक सेवाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी।
शासन का तर्क है कि प्रदेश में विकास योजनाओं, कुंभ 2027 की तैयारियों, डिजिटल प्रशासन और सार्वजनिक सेवा वितरण जैसे कई महत्वपूर्ण मोर्चे सक्रिय हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की हड़ताल आम जनता के लिए गंभीर परेशानी का कारण बन सकती है। इसलिए छह माह की यह रोक प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित करने का एक रणनीतिक कदम है। अधिनियम के तहत जारी इस प्रतिबंध के दौरान हड़ताल करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें
👉 हमारे फ़ेसबुक पेज को लाइक/फॉलो करें


Subscribe Now




