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बलिदान दिवस पर याद किये भगत सिंह-सुखदेव-राजगुरु

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रामनगर। शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के बलिदान दिवस के मौके पर विभिन्न संगठनों ने कार्यक्रमो का आयोजन कर स्वतन्त्रता आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इंकलाबी मजदूर केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन व प्रगतिशील महिला एकता केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार की सुबह शहादत दिवस के मौके पर प्रभात फेरी का आयोजन किया गया।

अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत को लाल सलाम के नारे के साथ लखनपुर चुंगी से प्रभात फेरी शुरु हुई। नगर की विभिन्न गलियों में मार्च करते हुये शहीद भगत सिंह चौक पर पहुंची और सभा में तब्दील हो गई। यहां “मेरा रंग दे बसंती चोला ” गीत के साथ सभा शुरू करते हुए वक्ताओं ने कहा कि भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथी न सिर्फ अंग्रेजों को देश से खदेड़ने चाहते थे। बल्कि पूंजीपतियों और जमींदारों के निर्मम शोषण से भी देश की मजदूर-मेहनतकश जनता को आज़ाद कराना चाहते थे।

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भगत सिंह रूसी क्रांति से प्रभावित होकर भारत में भी साम्राज्यवाद और पूंजीवाद के विरुद्ध क्रांति कर समाजवाद का निर्माण करना चाहते थे। उनके सपने आज भी अधूरे हैं और जिन्हें पूरा करने के लिये उनके विचारों पर आंदोलन को आगे बढ़ाना होगा। इस मौके पर सभा को प्रियांशु, उबैदउल हक़, तुलसी छिमवाल, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी एवं देवभूमि व्यापार मंडल के मनमोहन अग्रवाल आदि ने संबोधित किया। दूसरी ओर राजकीय इंटर कालेज ढेला में बच्चों ने शहीदों के चित्र बनाये। प्रवक्ता नवेन्दु मठपाल ने बच्चों को भगतसिंह व अन्य शहीदों के जीवन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी।

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सीनियर बच्चों द्वारा भगतसिंह के पत्रों व साहित्य का वाचन किया गया। इस मौके पर प्रभारी प्रधानचार्य सीपी खाती, नफीस अहमद, सन्तसिंह, उषा पवार, दीपा सती मौजूद रहे। कार्बेट पार्क के नेचर गाइड दीक्षा करगेती, प्रीति रावत, गोपाल करगेती द्वारा जंगल घूमने आए टूरिस्टों को सुधीर विद्यार्थी द्वारा लिखी पुस्तक शहीद भगतसिंह का वितरण किया गया। सावित्रीबाई फुले सायंकालीन स्कूल व ज्योतिबा फुले सांयकालीन स्कूल में भी शहीदों को याद किया गया।

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विद्यालय की शिक्षिका अंजलि रावत, आरजू सैफी, अरसी द्वारा बच्चों को सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है व मेरा रंग दे बसंती चोला का सामूहिक गायन करवाया गया। बच्चों ने शहीदों का चित्र बनाने के साथ साथ शिक्षक सुमित कुमार व कशिश के सहयोग से उनके जीवन के बारे में जाना। इस दौरान ग्राम प्रधान मौ. ताहिर, सुभाष गोला, बालकृष्ण चंद, नन्दराम आर्य, गिरीश मैंदोला, दिनेश निखुरपा, नरेश कुमार, आशा आर्या, पदमा मौजूद रहे।