देहरादून।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में परिवहन विभाग की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चत किया जाए कि लोगों को लाइसेंस के लिए आवेदन करने और स्लॉट मिलने में परेशानी न हो। आरटीओ ऑफिस के आस-पास कॉमन सर्विस सेंटर की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे समय-समय पर जन सुविधाओं से जुड़े कार्यालयों का औचक निरीक्षण करें। उन्होंने कहा कि सभी विभाग पिछले तीन सालों में किये गये 10 महत्वपूर्ण कार्यों और जुलाई 2026 तक विभागों को 10-10 कौन से महत्वपूर्ण कार्य पूर्ण करने हैं, इसका स्पष्ट ब्यौरा उपलब्ध करायें।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि बेहतर एवं सुगम नागरिक केन्द्रित सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। ऑनलाईन सेवाओं को व्यावहारिक बनाने की दिशा में और प्रयास किये जाने, सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को निरंतर जागरूक किये जाने, ऑनलाईन माध्यम से चालान की प्रक्रियाओं पर अधिक ध्यान दिये जाने के साथ यातायात के नियमों का अनुपालन सुनिश्चत किये जाने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये, उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सभी संबंधित विभागों को समन्वय के साथ कार्य करने, परिवहन निगम की बसों के बेड़े के सुदृढ़ीकरण पर विशेष ध्यान दिये जाने को कहा। पुरानी बसों के स्थान पर नई बसों की व्यवस्था के साथ ही मैदानी मार्गों में सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाने की बात मुख्यमंत्री ने कही।
बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में वाहनों की फिटनेस के लिए 04 आटोमेटिड टेस्टिंग स्टेशन की स्थापना की गई है, जबकि 07 पर कार्यवाही गतिमान है। सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए 13 इन्टरसेप्टर वाहनों एवं 30 बाईक स्क्वैड की तैनाती की गई है। हलद्वानी में चालक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जा रही है। राज्य में 04 ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक की स्थापना की जा चुकी है, जबकि 07 पर प्रक्रिया गतिमान है।
बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम एवं परिवहन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को सीएम ने दिए निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में उर्जा विभाग की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य में विद्युत उत्पादन बढ़ाने की दिशा में तेजी से कार्य किये जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 05 साल में प्रदेश में विद्युत उत्पादन दोगुना करने के लिए तीनों निगमों यूपीसीएल,यूजेवीएन एल और पिटकुल को समन्वय के साथ कार्य करें। तीनों निगमों को समयबद्धता के साथ परियोजनाओं को पूर्ण करने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य निर्माण की मूल अवधारणा में ऊर्जा और पर्यटन रहा है। ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य में तेजी से कार्य करने की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षाकाल को ध्यान में रखते हुए सभी ट्रांसफार्मर का सेफ्टी ऑडिट भी किया जाए। राज्य में तेजी से स्थापित हो रहे औद्योगिक संस्थानों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विद्युत उत्पादन बढ़ाने की दिशा में तेजी से प्रयास किये जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में जिन लघु जलविद्युत परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है, उन्हें तेजी पूर्ण किया जाए। सरकारी भवनों में सोलर रूफटॉप के माध्यम से विद्युत उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना से अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार मिले, इस दिशा में और प्रयास किये जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि राज्य में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का लाभ लोगों को अधिक से अधिक मिले। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि नये बिजली घरों के निर्माण तथा ट्रांसमिशन लाईन अपडेट करने की कार्यवाही में तेजी लाई जाए। लाईन लॉस को कम करने के लिए भी प्रभावी योजना पर कार्य किये जाने एवं विद्युत लाईनों को भूमिगत किये जाने की योजनाओं पर तेजी से कार्य करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये हैं।
बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में 121 मेगावाट. क्षमता की 06 लघु जलविद्युत परियोजनाएं आवंटित की गई हैं, जिनमें से 24 मेगावाट की मेलेखेत और 21 मेगावाट की खुटानी जल विद्युत परियोजना दिसम्बर 2026 तक पूर्ण हो जायेंगी, जबकि 22.80 मेगावाट की बर्नीगाड और 06 मेगावाट की रयात जल विद्युत परियोजना पर आगामी दो वर्षों में कार्य आरंभ किया जायेगा। राज्य में पम्प स्टोरेज प्रोजक्ट के तहत 200 मेगावाट की लखवाड़-ब्यासी, 150 मेगावाट की ब्यासी- कट्टा पत्थर और 168 मेगावाट की कालागढ़ परियोजना पर प्रारंभिक फिजीबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। 01-01 मेगावाट की तिलोथ, खटीमा और ढ़करानी बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के तहत विकसित किये जा रहे है।
बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, अपर सचिव रंजना राजगुरू, अहमद इकबाल, एमडी यूजेवीएनएल संदीप सिंघल, एमडी पिटकुल पी.सी ध्यानी एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि बच्चों में कुपोषण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जच्चा और बच्चा दोनों का स्वस्थ रहना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य में आंगनबाड़ी कार्यकत्री और एएनएम के माध्यम से गर्भवती माताओं का ट्रेकिंग सिस्टम अपडेट रखा जाए। एनीमिया की कमी को दूर करने के लिए महिलाओं को मिलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चत की जाए। आंगनबाड़ी के माध्यम से बच्चों और माताओं को दिये जाने वाले पुष्टाहार की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए। पुष्टाहार की आकस्मिक रूप से गुणवत्ता जांच भी की जाए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि कुपोषण से मुक्ति, मातृ-शिशु मृत्यु दर को और कम करने के लिए राज्य के कुछ गांवों को आकांक्षी गांवों के रूप में लिया जाए। कुपोषण से मुक्ति के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को आपसी समन्वय के साथ संचालित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत राज्य में बालिकाओं को बेहतर शिक्षा और आत्मनिर्भर बनाने के लिए बनाई गई योजनाओं को और अधिक व्यवहारिक बनाया जाय। महिला सशक्तिकरण की दिशा में महिलाओं के कौशल विकास पर भी विशेष ध्यान दिये जाने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।
बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद श्री विश्वास डाबर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, चन्द्रेश यादव, निदेशक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास प्रशांत आर्य उपस्थित थे।
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