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अन्तर्राष्ट्रिय विश्व बाघ दिवस पर जारी किये गये बाघो के आँकड़ो मे कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व रहा अव्वल सीएम धामी ने दी बधाई

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रामनगर(उत्तराखंड):बाघो के संरक्षण के लिए मनाया जाने वाला वैश्विक व्याघ्र दिवस(global tiger day)रामनगर के कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व मे शनिवार को मनाया गया।इस अवसर पर मीट कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे,केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट,और देश से विभिन्न राज्यो के टाईगर रिज़र्व के निदेशक,उप निदेशक,एनटीसीए के अधिकारी व कर्मचारियों ने कार्यक्रम मे प्रतिभाग किया।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।कार्यक्रम मे राज्यवार बाघों के आंकड़े जारी किए व बाघों के संरक्षण व संवर्धन हेतु तीन रिपोर्ट भी जारी की गई।

बता दे रामनगर के ढिकुली स्थित एक रिज़ोर्ट मे अन्तर्राष्ट्रिय विश्व बाघ दिवस मनाया गया।इस कार्यक्रम मे भारत के 06 टाइगर रिजर्व को  ग्लोबल कैट्स ऐक्ररेडिशन सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया। पूरे भारत मे वन्य जीव संरक्षण की दिशा में असाधारण व सराहनीय कार्य करने वाले वन विभाग के कुल 11 फ्रंटलाइन वर्कर को सम्मानित किया गया।जिसमे काली टाइगर रिजर्व,पीलीभीत टाइगर रिजर्व,ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व,पेरियार टाइगर रिजर्व, नामेरी  टाइगर रिजर्व और सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व के कर्मचारी शामिल है।

ग्लोबल टाइगर डे के दिन केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे,केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने विभिन्न टाइगर रिज़र्वो द्वारा की गयी बाघो की गणना के आँकड़े जारी किये गये।पूरे भारत वर्ष में 2018 की तुलना में 2022 में 715 बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 2022 के आंकड़ों के आधार पर बाघों की कुल संख्या 3682 है जो कि 2018 में 2967 थी। सर्वाधिक बाघ मध्यप्रदेश में 785 फिर कर्नाटक में 563 व उत्तराखंड में 560 बाघों की संख्या रही। जारी आंकड़ों के अनुसार उत्तरखण्ड कार्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की सँख्या बड़ी है।  2018 की तुलना में 118 बाघ बड़े है राज्य में अब कुल बाघ 560 हो गए है। वहीं कार्बेट टाइगर रिजर्व में पहले 231 बाघ थे जो बढ़कर 260 हो गए है।जिस कारण कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व सबसे अधिक बाघ घनत्व वाले टाइगर रिज़र्व के साथ शीर्ष स्थान पर रहा है।

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वही उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रतिभाग करते हुए कहा कि वनों एवं वन्यजीवों का संरक्षण देवभूमि की संस्कृति एवं दैनिक जीवन का अभिन्न अंग है तथा प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाना हमारा संस्कार है। यह उत्तराखंड की संस्कृति है जो हमें धरोहर के रूप में हमें पुरखों से संस्कार में मिली है। हमें इको टूरिज्म में स्थानीय समुदाय की और अधिक भागीदारी सुनिश्चित करते हुए होम स्टे, बर्ड वॉचिंग व अन्य क्रियाकलापों पर अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।

उत्तराखंड में बाघों की संख्या में इजाफा होने पर सीएम ने उत्तराखण्ड की जनता, वन विभाग के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ ही स्थानीय प्रतिभागियों को बधाई दी। कहा कि वर्ष 2018 में 442 बाघों की संख्या थी जो वर्ष 2022 तक बढ़ कर 560 हो गई है। सीएम ने देश भर के टाइगर रिजर्व से पहुँचे प्रमुख वन्य जीव संरक्षकों  से जिम कॉर्बेट संग्राहलय कालाढूंगी में जाने का अनुरोध किया। कहा कि विश्व विख्यात जिम कॉर्बेट ने अपने जीवन का काफी समय कालाढूंगी में व्यतीत किया।  कालाढूंगी में उनका पुराना घर है जिसे एक संग्रहालय का रूप दिया गया है। धामी ने कहा कि हम अपनी सदियों पुरानी परंपरा का आज भी पालन कर रहे हैं, जो हमें सिखाती है कि हमें जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों के संग समरसता के साथ रहना चाहिये, क्योंकि ये सब भी इस धरती पर हमारे साथ ही रहते हैं। चिपको आंदोलन के नाम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर हुए इस महिला सत्याग्रह ने पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण और नारी सशक्तिकरण को नए अर्थों में परिभाषित किया। हमने हाल ही में इस आंदोलन के 50 वर्ष पूर्ण किए हैं और मैं आज इस मंच से उन सभी सत्याग्रहियों को नमन करता हूं, जिन्होंने उस समय हमारे पेड़ों को बचाया।उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हल्द्वानी में जल्द ही वाइल्ड लाइफ हॉस्पिटल का शिलान्यास भी किया जाएगा। साथ ही वन विभाग के अधिकारियों को कार्य के दौरान आने वाली चुनौतियों पर कार्य करके उनके समाधान के प्रयास पर कार्य करने को कहा। उन्होंने कहा कि वन्यजीव और मानव संघर्ष के प्रकरणों पर विभाग को स्वतः ही सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुमन्य सहायता दी जानी चाहिए जिससे पीड़ित पक्ष को अनावश्यक दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़े। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने कहा कि 

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आज बाघ संरक्षण के 05 दशक पूरे किए हैं जो कि उपलब्धियों से परिपूर्ण है। पूरे विश्व के 75 प्रतिशत से अधिक बाघ भारत में पाए जाते है। उन्होंने कहा बाघों के संरक्षण संवर्धन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए वन विभाग को अत्याधुनिक उपकरणों के प्रयोग से लैस किया गया है किंतु आवश्यकता है अधिक सशक्त बनाने की। उन्होंने कहा जिस प्रकार सेना व पुलिस को उनकी वीरता के लिए पदक दिया जाता है उसी प्रकार वन विभाग को भी उनके साहसिक कार्यों के लिए वीरता पदक से राष्ट्रपति द्वारा नवाजा जाए, इस दिशा में कारगर प्रयास जारी है। 

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केंद्रीय मंत्री एवम पर्यटन रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि वन्य जीव टाइगर के संरक्षण व संवर्धन के लिये 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई। कहा कि बाघों के संरक्षण व संवर्धन के लिए वित्तीय सहयोग भी किया जाएगा। 

कार्यक्रम में भारत के विभिन्न टाइगर रिजर्व से आये ईडीसी व स्वयं सहायता समूह द्वारा स्थानीय उत्पादों का स्टाल लगाकर प्रदर्शन भी किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया, विधायक रामनगर दीवान सिंह बिष्ट, भीमताल राम सिंह, नैनीताल सरिता आर्या,यमकेश्वर रेणु बिष्ट, महानिदेशक वन सीपी गोयल, सदस्य सचिव एनटीसीए डॉ ऐस पी यादव, आईजीएफ अमित मलिक, प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक, समीर सिन्हा, कुमाऊँ मुख्य वन संरक्षक पी के पात्रो, आईजी नीलेश आंनद भरणे, डायरेक्ट कॉर्बेट डॉ धीरज पांडेय, राजाजी डॉ साकेत  बड़ोला सहित अन्य वन अधिकारी उपस्थित थे।