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कोरोना काल मे सेब काश्तकारों ने सरकार से समर्थन मूल्य बढ़ाने की लगायी गुहार |

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उत्तरकाशी-उत्तरकाशी जनपद में लगभग 20 हज़ार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हर साल होता है | यदि इस इलाके के हर्षिल घाटी की बात करे तो 4 से 5 हज़ार मीट्रिक टन सेब यहाँ होता है | इस बार सेब की पैदावार यहाँ अच्छी हुई है | लेकिन काश्तकारों सरकार द्वारा निर्धारित किया गया समर्थन मूल्य सी ग्रेड सेब का 9 प्रतिकिलो रखा गया | काश्तकारों ने सरकार से मांग की है कि सेब का समर्थन मूल्य पहले की भाँती 30 रूपये प्रतिकिलो ही रखा जाना चाहिए | ताकि कोरोना काल में काश्तकारों नुकसान न हो | 

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हर्षिल घाटी में सेब की फसल

हर्षिल घाटी को खूबसूरत घाटी, राजमा और सेब उत्पादन के लिए जाना जाता है| यहां के सेबों की गुणवत्ता और मिठास की देश की मंडियों में अलग ही स्थान है |

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साल 2012-13 की आपदा के बाद जहां हर्षिल घाटी के सेब उत्पादन में गिरावट देखने को मिली थी तो वहीं, इस साल हर्षिल घाटी में सेब के अच्छे उत्पादन से काश्तकारों के चेहरे खिले हुए हैं |उद्यान विभाग के सर्वे की मानें तो इस साल हर्षिल घाटी में 4000 मीट्रिक टन सेब उत्पादन की उम्मीद है |हालांकि, इस साल कम बारिश और पतझड़ के कारण कई काश्तकारों को नुकसान का डर सता रहा है |जिसके लिए काश्तकारों ने सेब के समर्थन मूल्य को पूर्व सरकार की भांति 30 रुपये प्रति किलो करने की मांग की है |इस बार सरकार ने 9 रुपये प्रति किलो सी ग्रेड के सेब का समर्थन मूल्य रखा है |