रुद्रप्रयाग। वनाग्नि की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। जंगलों में लगी आग अब आवासीय क्षेत्रों तक भी पहुंच रही है। जिला मुख्यालय से सटे गांवों में जंगलों की आग पहुंच रही है, जिसके बाद ग्रामीण एकत्रित होकर जान पर खेलकर आग को बुझाने में लगे हैं। वहीं आसमान में चारो धुंध ही धुंध छाई हुई है। वन विभाग आग पर काबू पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है।
जंगलों में लगी आग ने अब विकराल रूप धारण कर दिया है। इन दिनों जनपद का कोई भी जंगल ऐसा नहीं है, जो जलकर राख न हो रहा हो। जंगलों में लगी से जहां मानव परेशानियां बढ़ गई हैं। वहीं जंगली जानवरों का जीवन खतरे में पड़ गया है और प्राकृतिक सम्पदा जलकर राख हो गई है। आसमान में छाई धुंध के कारण आम जनता की मुसीबतें भी बढ़ गई हैं। इस धुंध के कारण जहां सूर्य की रोशनी का कोई असर नहीं हो रहा है, वहीं भीषण गर्मी पड़ रही है। जंगलों में लगी आग के कारण प्राकृतिक जल स्त्रोत भी सूखने लग गये हैं। साथ ही कई जगह पेयजल लाइन भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं। वन विभाग की ओर से जगह-जगह आग बुझाने के लिये टीमे तो भेजी जा रही हैं, लेकिन कहीं भी आग पर काबू नहीं पाया जा रहा है।
पर्यावरण विद देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में जंगल धूं-धूं कर जल रहे हैं। सरकार इस मसले में मौन है। जंगलों की आग ने हवा को पचास प्रतिशत दूषित कर दिया है। ब्लैक कार्बन के कारण आंखों में जलन और खुजली हो रही है। पेड़-पौधों को भी नुकसान पहुंच रहा है। पौधों में बीमारियां लगनी शुरू हो गई हैं। ब्लैक कार्बन से काफी नुकसान हो रहा है। आंकड़ों में साफ है कि जंगल में आग लगने से तापमान में 0.9 डिग्री सेल्सियस वृद्धि हुई है और 332.82 हेक्टेयर जंगल जल चुके हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि हमें अपने उत्तराखण्ड को बचाने के प्रयास करने होंगे।
अगस्त्यमुनि रेंज के वन क्षेत्राधिकारी यशवंत सिंह चैहान ने बताया कि वन कर्मी दिन-रात आग पर काबू पाने में जुटे हुये हैं। जगह-जगह से जंगलों में लाग लगने की सूचनाएं मिल रही हैं। सूचना मिलते ही वनकर्मी मौके पर पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि आम जनता से जंगलों में आग न लगाने की अपील भी की जा रही है।
लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें
👉 हमारे फ़ेसबुक पेज को लाइक/फॉलो करें