उत्तराखंडकुमाऊंगढ़वालनैनीताल

अपने ही दो नवजात शावको को खा गयी घायल बाघिन

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रामनगर(उत्तराखंड):कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के ढेला रेस्क्यू सेन्टर मे एक घायल बाघिन ने जन्मे तीन नवजात शावको मे से दो को खा लिया।फंदे मे फँस कर घायल हुई बाघिन को कॉर्बेट प्रशासन द्वारा  रेस्क्यू कर उपचार के लिए ढेला रेस्क्यू सेन्टर लाया गया था।जहाँ उसने सोमवार को तीन शावको को जन्म दिया था।

बता दे कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व मे लगे कैमरा ट्रैप मे एक बाघिन की फुटेज कैद हुई थी।बाघिन घायल थी उसके पेट पर फन्दा  फँसा हुआ था।22मई को कॉर्बेट प्रशासन द्वारा बाघिन को कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व की कालागढ़ रेंज से ट्रेन्क्यूलाइज़ कर उसका रेस्क्यू किया गया था।उसे उपचार हेतू ढेला रेस्क्यू एवं रिहैविलेशन सेन्टर लाया गया।फन्दा पेट मे फँसा होने के कारण बाघिन की सर्जरी होना आवश्यक थी।इससे पहले डॉक्टरो की टीम सर्जरी कर पाती बाघिन की जाँच मे गर्भवती होने की पुष्टि हो गयी।जाँच के बाद टीम ने इस हालत मे सर्जरी करना ठीक नही समझा और सर्जरी करने का निर्णय छोड़ दिया।

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पेट मे फन्दा फँसा होने के बावजूद भी बाघिन ने 17 जुलाई को दो शावको और 18 जुलाई तीसरे शावक को जन्म दिया।मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड द्वारा बाघिन के उपचार सही दशा व दिशा तय की जा सके इसके लिए विशेषज्ञो की गठित की गयी तीन सदस्य टीम को रेस्क्यू सेन्टर भ्रमण के निर्देश दिये गये।19जुलाई 2023 को गठित की गयी तीन सदस्य विशेषज्ञो के पैनल ने बाघिन के चिकित्सकीय परिक्षण के लिए ढेला रेस्क्यू एवं रिहैविलेशन सेन्टर भ्रमण किया।पैनल मे नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के प्रतिनिधि प्रदीप मलिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान से डॉ. एके दास, डिपार्टमेंट ऑफ सर्जरी एवं रेडियोलॉजी जीबी पंत विश्वविद्यालय (सदस्य) डॉ. पराग निगम शामिल है।

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गठित पैनल के साथ कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के निदेशक डॉ धीरज पाण्डे,उपनिदेशक आशुतोष सिंह भी मौजूद रहे।निरिक्षण के दौरान बाढ़े मे बाघिन स्वस्थ मिली परन्तु एक शावक मृत मिला

शाम तक दूसरे शावक का स्वास्थ खराब होने के संकेत मिले और देर रात दूसरे शावक की भी मौत हो गयी।बाघिन और उसके बचे शेष शावक की सुरक्षा के मद्देनज़र मृत शावको के शव नही निकाले जा सके।

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20 जुलाई को बाढ़े के निरिक्षण के दौरान दोनो मृत शावको के शरीर नही पाये गये।बाढ़े मे बाघिन और एक जीवित शावक ही मिले।जिससे यह अनुमान लगाया गया कि मादा बाघिन द्वारा स्वजाति-भक्षी अपनाते हुए मृत शावको को अपना भोजन बनाया गया होगा।जो की माँस भक्षी जानवरों मे असामान्य व्यवहार नही है।बाघ जंगल या चिड़ियाघर मे हो इस व्यवहार से अनभिज्ञ नही है

बावजूद इसके बाघिन और शावक की निगरानी के लिए बाढ़े मे सीसीटीवी कैमरा लगाये गये है।वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी एव कॉर्बेट प्रशासन द्वारा बाघिन और शावक पर निगरानी रखी जा रही है।