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हरिद्वार में मजदूर संगठनों का प्रदर्शन, लेबर कोड्स की प्रतियां जलाकर जताया विरोध–रुद्रपुर में किया पुतला दहन

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नई श्रम संहिताओं को ‘मजदूर विरोधी हमला’ बताया

हरिद्वार। केंद्र सरकार द्वारा चार नये श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स) को लागू करने के विरोध में रविवार को इंकलाबी मजदूर केंद्र और संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा के बैनर तले बीएचईएल सेक्टर-4 चौराहे पर मजदूर संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सभा के बाद चारों श्रम संहिताओं की प्रतियां आग के हवाले कर रोष जताया।

“श्रमिकों पर बड़ा हमला, एकजुट संघर्ष से जवाब देंगे”
संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा के संयोजक एवं फूड्स श्रमिक यूनियन आईटीसी के महामंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा चार श्रम संहिताएं लागू करना मजदूर वर्ग पर सीधा हमला है। सरकार की पूंजीपति-परस्त नीतियों को मजदूर वर्ग अपने संगठित संघर्ष से करारा जवाब देगा।

इंकलाबी मजदूर केंद्र के हरिद्वार प्रभारी पंकज कुमार ने आरोप लगाया कि कोरोना काल में पूंजीपतियों के मुनाफे को ध्यान में रखकर जल्दबाजी में ये श्रम संहिताएं पास की गईं। उन्होंने कहा कि नई संहिताएं मात्र 7% संगठित मजदूरों को भी सुरक्षा देने में असफल होंगी। छंटनी और तालाबंदी का अधिकार मालिकों को सौंप दिया गया है, जबकि यूनियन बनाने की प्रक्रिया और कठिन कर दी गई है।

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“महिलाओं को रात की पाली में भेजना सुरक्षा के विपरीत”— महिला संगठनों का आरोप
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की नीता ने कहा कि महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति देकर सरकार ने सुरक्षा संकट बढ़ा दिया है। “जब दिन में सुरक्षा नहीं, तो रात में काम का दबाव महिलाओं के लिए और खतरनाक होगा,” उन्होंने कहा।

“हिंदू राष्ट्र की बात और मजदूरों के अधिकार खत्म—दोहरी नीति”
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के संयोजक नासिर अहमद ने कहा कि सरकार एक ओर हिंदू राष्ट्र का नारा देती है और दूसरी ओर हिंदू व अन्य मज़दूरों के हक छीन रही है।

“समान वेतन का ढोंग, स्कीम वर्कर्स के साथ अन्याय”— भोजन माता संगठन
प्रगतिशील भोजन माता संगठन की उपाध्यक्ष रजनी ने कहा कि सरकार समान काम का समान वेतन देने का दावा करती है, जबकि भोजन माताओं को मात्र ₹3,000 मानदेय देकर उनके जीवन को संकट में डाल रही है।

एवरेडी मजदूर यूनियन के महामंत्री अनिल कुमार ने कहा कि सरकार अंबानी-अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए मजदूरों पर काले कानून थोप रही है।

“सरकारी संपत्तियां बेची जा रहीं, शिक्षा-स्वास्थ्य महंगा”— भेल मजदूर संगठन
भेल मजदूर ट्रेड यूनियन के महामंत्री अवधेश कुमार ने कहा कि सरकारी संपत्तियों को औने-पौने दामों में बेचकर सरकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही है, जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य आम आदमी की पहुंच से दूर होते जा रहे हैं।

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फैक्ट्रियों में श्रमिकों का PF–ESI तक नहीं— श्रमिक प्रतिनिधि
सत्यम ऑटो कर्मचारी संघ के चन्द्रेश ने कहा कि FTA और NAPS के तहत काम करने वाले मजदूरों का PF और ESI तक नहीं काटा जा रहा, जो बड़ा शोषण है।

14 दिसंबर को हरिद्वार में बड़ी रैली
वक्ताओं ने सामूहिक रूप से घोषणा की कि 14 दिसंबर को हरिद्वार में मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के बैनर तले विशाल प्रदर्शन और रैली आयोजित की जाएगी। मुख्य मांगों में सभी श्रम संहिताओं की वापसी, ठेकेदारी प्रथा पर रोक, न्यूनतम वेतन ₹30,000 प्रतिमाह और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर प्रतिबंध शामिल होंगे।

प्रदर्शन के दौरान इंकलाबी मजदूर केंद्र, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, फूड्स श्रमिक यूनियन आईटीसी, एवरेडी मजदूर यूनियन, सत्यम ऑटो कर्मचारी संघ, महिला संगठन और विभिन्न श्रमिक समितियों के कार्यकर्ता प्रमुख रूप से जय प्रकाश, अंकुश, दीपक, सत्यवीर, रंजन, ब्रजराज, कृष्ण मुरारी, नरेश कुमार, विजेंद्र कुमार, मन्नु शाह, अरुण कुमार, राजीव, सुरेश राम, जितेंद्र कुमार, देवेंद्र सिंह, पीतांबर ध्यानी, संजीव कुमार, महिपाल, बलवंत, कृष्णा, दीपा, सोनिया, कौशल्या, पूनम आदि लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

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रुद्रपुर में मजदूरों ने नई श्रम संहिताओं के विरोध में किया पुतला दहन

रुद्रपुर। मोदी सरकार द्वारा 21 नवंबर 2025 को लागू की गई चार नई श्रम संहिताओं के खिलाफ इंकलाबी मजदूर केंद्र के बैनर तले मजदूरों ने आज विकास नगर कॉलोनी में पुतला दहन किया। उपस्थित मजदूरों ने चारों लेबर कोड्स को मजदूर विरोधी घोषित करते हुए उनकी तुरंत रद्द करने की मांग की।

कार्यक्रम में मजदूरों ने कहा कि नई संहिताओं से स्थाई नौकरी, हड़ताल और संगठित होने के अधिकारों पर चोट लगी है। इसके अलावा अस्थाई रोजगार, आठ घंटे कार्यदिवस, पेंशन, पीएफ, ईएसआई और महिला श्रमिकों की सुरक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

इंकलाबी मजदूर केंद्र के कैलाश, सुरेंद्र, मंगल सेन, लोकेश कुमार, सुनीता, इंटरार्क मजदूर संगठन के फिरोज और डॉल्फिन मजदूर संगठन के सुनील सहित कई मजदूर साथी इस विरोध कार्यक्रम में शामिल थे।

मजदूर संगठनों ने सभी मजदूर वर्ग को एकजुट होकर इस नई नीति का विरोध करने का आह्वान किया।