
देहरादून।देशभर में बाघ संरक्षण को मजबूती देने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने एक बार फिर व्यापक बाघ गणना अभियान का बिगुल बजा दिया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) और अन्य संगठनों के सहयोग से इस बार गणना पहले से कहीं अधिक वैज्ञानिक और व्यापक पद्धति से की जाएगी।
कुमाऊं के जंगल – बाघों की सुरक्षित शरणस्थली
उत्तराखंड में बाघों की संख्या को लेकर सबसे बड़े केंद्र के रूप में कुमाऊं के जंगल एक बार फिर फोकस में हैं। कार्बेट नेशनल पार्क और तराई बेल्ट को देश के सबसे सुरक्षित बाघ आवासों में गिना जाता है। विभाग को उम्मीद है कि इस बार की गणना में कुमाऊं में बाघों की संख्या में और बढ़ोतरी दर्ज हो सकती है।
दिसंबर से फरवरी तक तीन महीने की मैदानी कवायद
दिसंबर से फरवरी के बीच होने वाली इस गणना के लिए वन विभाग पूरी तरह तैयार है।
वनकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है ताकि तकनीकी पद्धतियों—जैसे बाघों के पदचिह्न, पेड़ों पर पंजों के निशान, मल के नमूनों और कैमरा ट्रैप—का सटीक इस्तेमाल सुनिश्चित हो सके।
करीब 600 कैमरों के जरिए कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) के अलावा तराई पश्चिमी और पूर्वी वृत्त के जंगलों की निगरानी की जाएगी।
इनमें से 350 कैमरे वन विभाग के पास हैं, जबकि 250 कैमरे WII और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड उपलब्ध कराएंगे।
पांच चरणों में होगी गणना
गणना पांच चरणों में पूरी की जाएगी, जिसमें
मैदान सर्वे,
कैमरा ट्रैप इंस्टालेशन,
रूट मैपिंग,
सबूतों का वैज्ञानिक विश्लेषण,
अंतिम डेटा संकलन
शामिल होंगे। वनकर्मी लगातार तीन दिनों तक जंगलों में घूमकर बाघों की उपस्थिति के संकेत दर्ज करेंगे।
उत्तराखंड – बाघों की मजबूत आबादी वाला राज्य
वर्तमान में उत्तराखंड में करीब 560 बाघ दर्ज हैं, जिनमें से
260 अकेले कार्बेट टाइगर रिजर्व में पाए जाते हैं।
कुल मिलाकर कुमाऊं मंडल में लगभग 450 बाघों की मौजूदगी राज्य को देश के प्रमुख टाइगर हॉटस्पॉट्स में शामिल करती है।
चार साल बाद फिर राष्ट्रीय स्तर का सर्वे
देश के 58 टाइगर रिजर्व और उनसे जुड़े जंगलों में हर चार वर्ष में यह सर्वे होता है। पिछली अखिल भारतीय बाघ गणना वर्ष 2022 में हुई थी। इस बार का सर्वे बाघ संरक्षण नीतियों और उनकी प्रभावशीलता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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