रामनगर।अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस के मौके पर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में एक आयोजन किया गया।जिसमे गिद्धों के विषय में जानकारी दी गई।इसके अलावा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सीमा से सटे गांवों में स्थित स्कूलों में विद्यार्थियों एवं वन विभाग के ट्रेनी वन दरोगाओं को जागरूक करने के लिए गिद्धों के विषय में बताया गया।गिद्धों की संख्या में कमी आने पर हमारे जीवन पर इसके क्या दुष्परिणाम हो सकते है एक शॉर्ट फिल्म के माध्यम से समझाया गया।
गौरतलब है कि शनिवार को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ0 साकेत बडोला के निर्देश और उपनिदेशक दिगंध नायक के मार्गदर्शन में अन्तर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस का आयोजन किया गया।यह आयोजन राजकीय इण्टर कालेज, ढिकुली, राजकीय इण्टर कालेज, ढेला, सेन्ट मैरी इण्टर कालेज, भिक्कावाला तथा सरस्वती शिशु विद्या मन्दिर, कालागढ़ एवं कार्बेट वन्यजीव प्रशिक्षण केन्द्र, कालागढ़ में आयोजित किया गया। सभी स्कूली छात्र-छात्राओं तथा प्रशिक्षु वन दरोगा को गिद्धों पर आधारित शार्ट फिल्म के माध्यम से जागरूक किया गया।
इसके अतिरिक्त कार्बेट टाइगर रिजर्व के साथ-साथ समूचे भारतवर्ष में पाये जाने वाले गिद्धों के विषय में पॉवर प्वाइन्ट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से प्रस्तुतीकरण दिया गया। प्रत्येक प्रजाति के गिद्धों का व्यवहार, वासस्थल, प्रजनन, उड़ान, पंखों को फैलाव एवं गिद्धों के द्वारा अपनाये गये अनुकूलन यथा चोंच का आकार, गर्दन की बनावट, सिर पर बालों की अनुपस्थिति आदि के बारे में अवगत कराया गया। गिद्धों की संख्या में कमी आने के दुष्परिणामों से भी अवगत कराया गया। छात्र-छात्राओं को अपने क्षेत्र में गिद्ध का घोंसला या गिद्ध दिखाई देने पर वन विभाग व कार्बेट टाइगर रिजर्व को सूचित किये जाने के लिए अनुरोध किया गया।
समस्त छात्र-छात्राओं एवं प्रशिक्षु वन दरोगा तथा स्टाफ से गिद्धों को बचाने के लिए स्वयं की आदतों में बदलाव के विषय में बताया गया। वर्तमान में समूचे भारतवर्ष में पाये जाने वाले 09 गिद्ध की प्रजातियों में से 08 गिद्ध प्रजातियां कार्बेट टाइगर रिजर्व में पायी जाती हैं।
सामान्तया गिद्धों का भोजन मृत जीव-जन्तु हैं। गिद्धों के पेट में विशेष प्रकार का ऐसिड पाया जाता है जिससे इनका आहार सरलता से पच जाता है। वर्तमान में गिद्धों की संख्या में भारी कमी परिलक्षित हुई है। मनुष्यों के द्वारा प्रयोग किये जाने वाला डाईक्लोफिनाक रसायन के कारण गिद्धों की संख्या में गिरावट देखी गयी है। इस रसायन के सेवन से कुछ ही दिनों में किडनी क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण गिद्धों की मृत्यु हो जाती है। गिद्धों को आई०सी०यू०एन० सूची में गम्भीर रूप से लुप्तप्रायः के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। गिद्ध सबसे प्रभावी सफाईकर्मी हैं, पर्यावरण को स्वस्थ रखने और शवों को जल्दी एवं कुशलता से खाकर रोगों के प्रसार को रूकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।बता दे कि प्रत्येक वर्ष सितंबर माह के प्रथम शनिवार मनाया जाता है।
इस अवसर पर आकाश गंगवार, प्रशिक्षु अधिकारी, भा०व०से०, विवेक तिवारी, निदेशक, कार्बेट वन्यजीव प्रशिक्षण केन्द्र कालागढ़, अमित कुमार ग्वासीकोटी, उप प्रभागीय वनाधिकारी, बिजरानी, बिन्दर पाल, उप प्रभागीय वनाधिकारी, कालागढ़, नवीन पाण्डे, वन क्षेत्राधिकारी, ढेला,धरमपाल सिंह नेगी, सनी जोशी, वरिष्ठ परियोजना अधिकारी, डब्ल्यू०डब्ल्यू०एफ०, संजय छिम्वाल, कुबेर सिंह रावत, सुरेश रावत, राजेन्द्र सिंह छिम्वाल, ई०डी०सी० अध्यक्ष, ढिकुली, प्रशिक्षु वन दरोगा एवं कर्मचारी तथा ग्रामीण उपस्थित थे।
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