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पुलिस में हेड कांस्टेबल की पदोन्नति को लेकर शासन में एक बार फिर पत्रावली चल निकली ।

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उत्तराखण्ड-पुलिस में हेड कांस्टेबल की पदोन्नति को लेकर शासन में एक बार फिर पत्रावली चल निकली है। इस बार यह पत्रावली कोर्ट में काउंटर लगाने के लिए चलाई गई है। कोर्ट में इस समय 600 से अधिक कांस्टेबलों ने पदोन्नति के लिए विभागीय परीक्षा के प्रविधान को चुनौती दी है। उनका कहना है कि हेड कांस्टेबल पद पर पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर दी जाए।
प्रदेश में इस समय कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल पद पर पदोन्नति के लिए दो तरह की व्यवस्था है। हेड कांस्टेबल के रिक्त पदों में से आधे पदों पर भर्ती वरिष्ठता और आधे पर विभागीय परीक्षा के आधार पर होती है। उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर होती है। ऐसे में उत्तराखंड में चल रही व्यवस्था का विरोध हो रहा है। कांस्टेबलों का तर्क है कि पुलिस को छोड़ अन्य विभागों में पहली पदोन्नति का पद वरिष्ठता के आधार पर भरा जाता है। सब इंस्पेक्टर के बाद इंस्पेक्टर पद पर भी पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर होती है। हेड कांस्टेबल का पद अनुभव आधारित होता है। इस कारण उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर यह पद वरिष्ठता के आधार पर भरा जाए। उनका यह भी तर्क है कि विभागीय पदोन्नति परीक्षा के कारण पुराने कांस्टेबलों को पदोन्नति नहीं मिल पा रही है। ऐसे में कई बार कांस्टेबल बिना पदोन्नति पाए उसी पद से सेवानिवृत्त हो जाते हैं। जब शासन में सुनवाई नहीं हुई तो 602 कांस्टेबल इस व्यवस्था के विरोध में हाईकोर्ट चले गए। इस पर अब शासन काउंटर लगाने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों की मानें तो शासन अभी भी विभागीय परीक्षा और पदोन्नति को सही ठहराते हुए इस संबंध में अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रहा है।
पुलिस महकमे में कांस्टेबल व सब इंस्पेक्टरों की भर्ती का अधिकार अधीनस्थ चयन आयोग को देने के साथ ही अब हेड कांस्टेबल पद पर भी विभागीय पदोन्नति परीक्षा अधीनस्थ चयन आयोग से कराने की तैयारी है। इसके लिए पुलिस मुख्यालय की ओर से शासन में पत्रावली चलाई गई है। इसमें पदोन्नति परीक्षा को पारदर्शी बनाने के लिए यह कदम उठाने की बात कही गई है।

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