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संस्कृत भाषा: सभ्यता, संस्कृति और आध्यात्मिक ज्ञान का अनुपम स्रोत

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जीजीआईसी लोहाघाट में वरिष्ठ वर्ग संस्कृत प्रतियोगिता का भव्य आयोजन

चंपावत। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के तत्वावधान में जीजीआईसी लोहाघाट में खंड स्तरीय वरिष्ठ वर्ग संस्कृत प्रतियोगिताओं का शानदार आयोजन किया गया। सुबह से ही परिसर सांस्कृतिक उत्साह और वैदिक वातावरण से सराबोर रहा। विद्यार्थियों ने श्लोकोच्चारण, आशुभाषण, वाद-विवाद, समूह नृत्य, गान और नाट्य विधा में प्रतिभाग कर अपनी अद्वितीय प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि नाथूराम राय (प्रमुख शिक्षाविद एवं अवकाश प्राप्त शिक्षक), विशिष्ट अतिथि हरीश चन्द्र कलौनी (पूर्व जनपद संयोजक), डॉ. दिनेश राम आर्या एवं डॉ. भूप सिंह धामी ने दीप प्रज्वलन और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच किया। वैदिक मंत्रोच्चार बसंत बल्लभ चौबे और राजू शंकर जोशी ने किया।
खंड संयोजक राजू शंकर जोशी ने देवतुल्य अतिथियों का स्वागत किया, जबकि आयोजन को सफल बनाने में लगातार योगदान दे रहे पूर्व खंड संयोजक भगवान जोशी ने अतिथियों को स्मृति-चिह्न भेंट कर आभार जताया।

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मुख्य अतिथि नाथूराम राय ने अपने उद्बोधन में कहा कि “संस्कृत केवल भारत की नहीं, संपूर्ण मानवता की अमूल्य धरोहर है।”
विशिष्ट अतिथि हरीश चन्द्र कलौनी ने कहा कि संस्कृत की वैज्ञानिक ध्वनि-व्यवस्था और समृद्ध साहित्य विश्व को ज्ञान, नैतिकता और सौहार्द का संदेश देते हैं।

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प्रतियोगिताओं के दौरान प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। निर्णायकों ने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में संस्कृत के प्रति रुचि और सम्मान को बढ़ाते हैं।

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कार्यक्रम के समापन पर विजेताओं को प्रशस्ति-पत्र, स्मृति-चिह्न और नकद पुरस्कार प्रदान किए गए।
खंड संयोजक राजू शंकर जोशी और पूर्व खंड संयोजक भगवान जोशी ने कहा कि संस्कृत भाषा सभ्यता, संस्कृति, अध्यात्म और ज्ञान-विज्ञान का अनुपम स्रोत है, और ऐसे आयोजन समाज में संस्कृत के पुनर्जागरण का मार्ग प्रशस्त करते हैं।