
रामनगर।ग्राम पूछड़ी और आसपास के ग्रामीणों ने बुल्डोजर राज के खिलाफ आवाज उठाते हुए संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में तहसील परिसर से जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से कुमाऊँ कमिश्नर को ज्ञापन सौंपकर तत्काल कार्रवाई की मांग की।

ज्ञापन में ग्रामीणों ने मांग की कि उत्तराखंड में चल रही सभी बेदखली और दमनात्मक कार्रवाइयों पर तत्काल रोक लगाई जाए, 7 दिसंबर को बेदखल परिवारों का पुनर्वास किया जाए, महिलाओं और ग्रामीणों के साथ हुई मारपीट और अवैध हिरासत की न्यायिक/उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, तथा उच्च न्यायालय के स्टे आदेशों का उल्लंघन करने वाले डीएफओ प्रकाश आर्य और अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, वनाधिकार कानून का पूर्ण अनुपालन कर सभी वन ग्रामों, गोठ और खत्तों को राजस्व ग्राम घोषित करने की भी मांग की गई।
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि ग्राम पूछड़ी में पिछले वर्ष ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति का विधिवत गठन हो चुका है। कानून के अनुसार अधिकार निर्धारण प्रक्रिया पूर्ण होने तक किसी ग्रामीण को उसके आवास या भूमि से बेदखल नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद 7 दिसंबर को सुबह 5 बजे से वन विभाग और जिला प्रशासन ने बलपूर्वक बेदखली कार्रवाई की। जिन लोगों को हाईकोर्ट से स्टे मिला हुआ था और जिन्हें केवल नोटिस प्राप्त हुआ था, उनके घरों पर भी बुल्डोजर चला।

ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति की अध्यक्ष धना तिवारी और सदस्य सीमा तिवारी को स्टे आदेश दिखाने के बाद भी मारपीट कर हिरासत में लिया गया। दर्जनों अन्य ग्रामीण पूरे दिन अवैध हिरासत में रखे गए। विरोध प्रदर्शन में वक्ताओं ने यह भी बताया कि ग्रामीणों की गेहूं की खेती उजाड़कर नगर पालिका कूड़ा डंप कर रही है, जिससे पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है।
वक्ताओं ने वन विभाग पर भी आरोप लगाया कि भूमि खाम भूमि होने के बावजूद 1966 से इसे गैरकानूनी तरीके से आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया। काशीपुर न्यायालय में इसका मामला 1990 में वन विभाग हार चुका है। इसके अलावा सूचना आयोग में वन विभाग ने स्टांप पर लिखकर भी माना है कि इसके कागजात उनके पास नहीं हैं।
प्रदर्शन और सभा में रामनगर क्षेत्र के विभिन्न गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए 9 दिसंबर को पूछड़ी एकता चौक में बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया। कार्यक्रम का संचालन सरस्वती जोशी ने किया। सभा में पीपी आर्य, कैलाश पांडे, ललित उप्रेती, ललिता रावत, प्रभात ध्यानी, खीम राम, रेनु सैनी, नेहा, सोनम शेख, लालमणी, तुलसी छिंबाल, दीपक तिवारी, सीमा तिवारी, मौ अकरम, रमेश आर्य, महेश जोशी और जगमोहन रावत ने संबोधन दिया।
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