नैनीताल/कालादूँगी-उत्तराखण्ड के रामनगर वनप्रभाग बाराती रॉ झरना कई रहस्यों को आपने में समेटे हुए है | यहाँ कई सो साल पुराने जीवाश्म मिले है भारत सहित विदेशी शोधकर्ताओं द्वारा अपनी रिसर्च जनरल में शोध के विषय में लिखा हुआ है | यहाँ के जंगलो में 13 सौ मिलियन साल पहले के अवशेष पाये गये है | शोधकर्ताओं का मानना है इस प्रकार के जीवाश्म मिलना शोध और पर्यटन के लिहाज़ शुभ संकेत है |
रामनगर नगर वनप्रभाग के अंतर्गत पहाड़ो की तलहटी में पड़ने वाले बाराती रॉ झरना प्राकृत्तिक खूबसूरती के साथ कई पौराणिक रहस्य समेटे हुए है | यहाँ पर हज़ारो वर्षो पुराने जीवाश्म शोधकर्ताओ को मिले है | यहाँ पर अक्सर शोधकर्ताओ की टीमें शोध करने के लिए आती रहती है |यहाँ पर जीवाश्म देखने को मिलते है | बाराती रॉ झरना वन क्षेत्र में देश-विदेश के शोधकर्ताओ की इंटनेशनल जनरल में यहाँ हुई शोध के विषय में लिखा हुआ है | यहाँ के जंगलो में तेराह सौ मिलियन वर्ष पहले के अवशेष पाये गये है | जिसमे शोधकर्ताओ को एक बन्दर प्रजाति का निचला जबड़ा मिला है |
शोधकर्ताओ का मानना है कि हिमालय की इस तलहटी में कई जीवाश्म मिलने की प्रबल सम्भावनाये है | बताया जा रहा है कि पृथ्वी पर जब समुद्र था और पृथ्वी जब अपने स्वरुप में आयी | उसके बाद से हिमालय और उसकी तलहटी में बसे इलाको में जानवरो और मनुष्यो का उत्पत्ति होती गयी | और समय- समय पर इनका स्वरुप ज़मीन से विलुप्त होता रहा और इंसानो जानवरो का नया स्वरुप और नयी सभ्यता जन्म लेती चली गयी |इसके कई अवशेष भूवैज्ञानिकों एवं शौधकर्ताओ मिलते रहे है | बावजूद इसके बाराती रॉ झरना इलाके में कई शोधे की जा रही है | यहाँ पर गुफाओ,झरनो व अन्य जगहों पर जीवाश्म देखने को मिलते है |शोधकर्ताओं का मानना है कि इस क्षेत्र में और जीवाश्मों की खोज की जाये तो कुछ नये चीजे निकल कर सामने आ सकती है | तथा यह क्षेत्र जहाँ जैव विविधता व प्राकृतिक सौन्दर्यता के रूप में जाना जाता है | आने वाले समय में यह जीवाश्म के लिए भी जाना जायेगा,और पर्यटन के मानचित्र पर नया क्षेत्र उभर का सामने आ सकेगा |
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