रामनगर-कॉर्बेट नेशनल पार्क में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा जंगल भ्रमण पर जाने वाली जिप्सियों पर अंकुश लगाने की तैयारी की जा रही।इसकी वजह जिप्सी चालको द्वारा सैलानियों को जंगल भ्रमण के दौरान बाघ को नजदीक से दिखाने के लिए बाघ के करीब चले जाना है। एनटीसीए जल्द ही जिप्सियों पर जीपीएस डिवाइस लगाने जा रहा है, जिससे जिप्सी की लोकेशन को ट्रेस किया जा सकेगा।
बता दें, कॉर्बेट नेशनल पार्क में एनटीसीए के नियम लागू किया गया था कि पर्यटकों को 500 मीटर की दूरी से ही वन्यजीवों का दीदार करना होगा, लेकिन कई जिप्सी संचालक पर्यटकों को खुश करने के लिए वन्य जीवों के करीब जिप्सी लेकर चले जाते हैं, जिससे वन्यजीवों की निजता भंग होती है। साथ ही उनके स्वभाव पर भी असर पड़ता है।
कॉर्बेट प्रशासन के अनुसार पिछले 6 सालों में बात करें तो 12 से 15 मौके ऐसे आए जब पर्यटक कोर्बेट पार्क में दूसरे वन्यजीवों के करीब तक चले गए। वन्यजीवों के निजता भंग होने से स्वभाव पर असर पड़ता है। कई बार वन्यजीवों के आक्रमक होकर पर्यटकों की सफारी पर हमले का प्रयास भी किया।उसी को ध्यान में देखते हुए एनटीसीए ने यह नियम लागू किए थे, लेकिन कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अभी भी ऐसे वीडियो सामने आते हैं, जब जिप्सी चालक अपनी जिप्सी को वन्यजीवों के बिल्कुल करीब ले जाते हैं।एनटीसीए डीआईजी सुरेंद्र मेहरा ने बताया कि सूचनाएं आती थी कि जिप्सी चालक बाघों के बिल्कुल करीब चले जाते हैं, जिससे जिप्सी और टाइगर में संघर्ष होने की संभावना बनी रहती है। इन समस्याओं से निपटने के लिए एनटीसीए यह फैसला ले रही है।
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