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पाम ग्रीन मामला हाई कोर्ट ने अग्रवाल बंधुओ की जमानत याचिका की खारिज ।

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नैनीताल-रुद्रपुर के चर्चित पाम ग्रीन कार्यालय को ध्वस्त करने के आरोपी अग्रवाल परिवार को नैनीताल हाई कोर्ट से भी कोई राहत नही मिली। उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका हाई कोर्ट की एकल पीठ ने खारिज कर दी। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई थी।

विदित है कि बीती 20 सितंबर की रात महिला बिल्डर प्रिया शर्मा के पाम ग्रीन मार्केटिंग आफिस को दुस्साहसिक रूप से ध्वस्त कर दिया गया था। इस मामले में हिस्ट्रीशीटर अवतार सिंह तारू सहित नैनीताल मोटर्स के स्वामी भूपेश अग्रवाल,उनके ताऊ रोहताश अग्रवाल ओर उनके बेटे विनय अग्रवाल को भी आरोपी बनाया गया था। इन्होंने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने ओर अपने विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने की मांग की थी।

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महिला बिल्डर प्रिया शर्मा

पीड़ित महिला बिल्डर प्रिया शर्मा ने रुद्रपुर कोतवाली में दर्ज करवाई एफआईआर में आरोप लगाया था कि पाम ग्रीन कालोनी को विकसित करने के लिये, टेकओवर किया गया था। जिसमे विक्रय का कार्य किया जा रहा था। इस भूमि को अवतार सिंह उर्फ तारू व विरेंद्र सिंह अपनी बताकर आये दिन कब्जा करने की कोशिश कर रहे है।
रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि 19 सितंबर की रात 12 बजे पाम ग्रीन कार्यालय में आरोपित लोगो ने अपने दस बारह साथियों के साथ दो जेसीबी मशीन लेकर आए और उसके ऑफिस में रखा समान व रूपये चोरी कर ले गए तथा जेसीबी मशीन से पूरा आफिस ध्वस्त कर दिया था।प्रिया शर्मा ने अपने पाम ग्रीन के मार्केटिंग कार्यालय को ध्वस्त करने में अवतार सिंह, विनय अग्रवाल, भू‌पेश अग्रवाल, रोहताश अग्रवाल, विरेंद्र सिंह, विजय गावा दोषी बताया है।

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आरोपी भूपेश अग्रवाल


इस मामले में हाई कोर्ट की एकलपीठ ने द्वारा पक्षों की दलीलों को सुना ओर याचिकाकर्ताओ की गिरफ्तारी पर रोक लगाने और प्राथमिकी निरस्त कर रोक लगाने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।सभी आरोपी अभी भूमिगत है। पुलिस अब इनके विरुद्ध अन्य विधिक कार्यवाही कर सकती है।