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जनविरोधी कानून वापस लिए जाने की मांग को लेकर समाजवादी लोकमंच ने किया धरना-प्रदर्शन।

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रामनगर- समाजवादी लोक मंच के तत्वाधान में गुरुवार को हाल में ही केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि व श्रम कानूनों में किये गये संशोधन को पूरी तरह जनविरोधी बताते हुए प्रशासनिक मुख्यालय पर धरने-प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इस दौरान अपनी कई मांगों को लेकर मंच कार्यकर्ताओं ने एसडीएम के माध्यम से एक ज्ञापन राष्ट्रपति को भेजकर अपनी मांगे पूरी करने की मांग भी की।

अपने तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार गुरुवार की सुबह मंच कार्यकर्ताओं के साथ बड़ी तादात में कृषि व श्रम सैक्टर से जुड़े लोगों ने प्रशासनिक मुख्यालय के परिसर पहुंचकर जोरदार नारेबाजी के साथ धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। मौके पर आयोजित जनसभा के दौरान वक्ताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान मजदूर व कर्मचारियों से संबंधित 29 श्रम कानूनों को खत्म करके उनके स्थान पर 4  लेवर कोड- मजदूरी संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 तथा उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदिशा संहिता 2020 पारित किये है। इससे पूर्व कृषि क्षेत्र को बर्बाद करके इस क्षेत्र में पूंजीपतियों के वर्चस्व को कायम करने के लिए तीन विधेयक भी सरकार द्वारा संसद में पारित किए जा चुके हैं। इतना ही नहीं मोदी सरकार देश की शिक्षा नीति में बदलाव करने के लिए नई शिक्षा नीति भी लागू कर चुकी है। भारत सरकार द्वारा श्रम तथा कृषि संबंधों व तथा आम आदमी की शिक्षा से जुड़े अहम मामलों को लेकर बनाए गए यह सभी कानून व बदलाव देश के मजदूर-कर्मचारी, किसान तथा आम जनता के हितों के खिलाफ हैं। ये सभी कानून देश के कॉरपोरेट घरानो तथा बहुराष्ट्रीय निगमों को मनमानी करने  तथा मजदूरों, किसानों का शोषण करने की खुली छूट देते हैं। इसलिए इनको जनहित में तत्काल वापस लिया जाये। वक्ताओं ने कहा कि देश में आंगनबाड़ी भोजनमाता व आशा वर्कर को मिलाकर कुल 60 लाख से अधिक महिलाएं  विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों में काम कर रही हैं परन्तु सरकार इन्हें न तो अपना कर्मचारी मानती है और न ही इन्हें न्यूनतम वेतन देती है। इन्हें बेहद कम मानदेय पर काम करने के लिए विवश किया गया है।देश की संसद में पारित वनाधिकार कानून 2005 के तहत देशभर में 42 लाख से अधिक वनाश्रित समुदाय के लोगों ने वन भूमि पर मालिकाना हेतु अपने दावे समाज कल्याण विभाग के समक्ष प्रस्तुत किये हैं परन्तु अभी तक समाज कल्याण विभाग ने इनमें से अधिकांश दावों को स्वीकार नहीं किया है। इस सब के खिलाफ देश की जनता में सरकार की नीतियों के प्रति लगातार आक्रोश तीखा हो रहा है। जनसभा के बाद कार्यकर्ताओं ने स्थानीय एसडीएम के माध्यम से देश के राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर मजदूर-कर्मचारी विरोधी चारों लेवर कोड रद्द किए जाने व रोजगार को मौलिक अधिकार घोषित किया जाने, किसान विरोधी तीनों विधेयक रद्द किये जाने तथा सभी किसानों के 10 लाख रुपये तक के कर्ज माफ करते हुए खाद, बीज, कृषि दवाओं-उपकरणों आदि को सस्ता किया जाने, भोजन माता, आंगनबाड़ी व आशा वर्कर को न्यूनतम वेतन व सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाने, नई शिक्षा नीति वापस लेकर सभी को के.जी से पी.जी तक नि:शुल्क व बराबरी के साथ शिक्षा का अधिकार दिये जाने, वनाधिकार कानून, 2005 के अंतर्गत दाखिल किए गए दावों को स्वीकार कर वनाश्रित समाज को भूमि पर मालिकाना हक दिये जाने की मांग की है। इस दौरान मंच संयोजक मुनीष कुमार, प्रभात ध्यानी, महेश जोशी, विमला देवी, आनंद नेगी, ललिता रावत, कौशल्या, सरस्वती जोशी, फैजल, मदन मेहता, मौ. ताहिर, कमल सिंह, मनोज सिंह, मुनीम सिंह, तुलसी रावत, दीवान कुमार, विमला देवी, गंगा देवी, श्यामा देवी, दीपा देवी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।