रामनगर।समाजवादी लोकमंच के संयोजक मुनीष कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि अंग्रेजों ने देश को गुलाम बनाए रखने व अपना औपनिवेशिक शासन जनता पर थोपने के लिए के भारतीय दंड संहिता 1860 व अन्य कानूनों का निर्माण किया था। अब अंग्रेजों के बनाए गए कानूनों को हटाने के नाम पर भारतीय जनता पार्टी उक्त तीनों कानून के माध्यम से जनता को मिले नाममात्र के जनतांत्रिक अधिकारों को भी खत्म कर तानाशाही व पुलिस राज को स्थापित करना चाहती है।
इन कानूनों में छोड़ दिए गए छेदों से दबंग और रसूखदार लोग बचकर निकल जाएंगे। भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता के सेक्सन 173 में कहा गया है कि पुलिस अधिकारी 3 से 7 वर्ष सजा अवधि वाले अपराध के मामले में कार्यवाही आगे बढ़ाने से पहले 14 दिन के भीतर प्राथमिक जांच पूरी करेगा । रसूखदार और ऊंची पहुंच वाले अपराधी इसका लाभ उठाकर कानून के फंदे से बच निकलेंगे। इतना ही नहीं सुरक्षा संहिता के सेक्सन 172 में पुलिस के निर्देशों का पालन नहीं करने पर पुलिस को किसी भी नागरिक को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया है।
भारतीय न्याय संहिता के सेक्सन 152 के माध्यम से भारत के संविधान में अनुच्छेद 19 में दर्ज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी खत्म कर दिया गया है। इस कानून के तहत सरकार के खिलाफ बोलने पर सरकार व्यक्ति को अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करने, भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने के नाम पर गिरफ्तार कर सकती है एवं उसे आजीवन कारावास तक की सजा सुनाई जा सकती है।
सड़क पर दुर्घटना के मामले में न्याय संहिता की धारा 106 में 10 साल तक की सजा एवं जुर्माना के प्रावधान पर सरकार ने चालकों के आंदोलन के बाद, जनवरी 2024 में रोक लगा दी थी परंतु इसको लेकर सरकार ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
आज से लागू उक्त तीनों ही कानून देश की जनता के हित में नहीं है। इन कानून को बनाने से पहले देश में व्यापक बहस एवं बातचीत की आवश्यकता थी जिसे सरकार ने पूरा नहीं किया। सरकार ने तानाशाही व पुलिस राज कायम करने की मंशा से जल्दबाजी में इन कानूनों को जनता के ऊपर लाद दिया है। इन कानून के कारण देश की जेलें गरीबों एवं राजनीतिक कैदियों से और भी अधिक भर जाएंगी।
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