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उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी का दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न: पार्टी की आखिरी बार कमान फिर पीसी को, प्रभात बने महासचिव, गैरसैण को राजधानी बनाने का लिया संकल्प

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रामनगर। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी का छठा अधिवेशन शनिवार को नए संकल्प के साथ संपन्न हुआ। अगले सम्मेलन तक पार्टी का ग्राम स्तर तक का सांगठनिक ढांचा खड़ा करने के संकल्प से पार्टी कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे से विदाई ली। इससे पहले सम्मेलन के दूसरे दिन अंतिम सत्र में संगठन के नए पदाधिकारियों का चुनाव किया गया। इस दौरान तमाम राजनैतिक प्रस्ताव भी पारित किए गए।

शुक्रवार की शाम देर रात तक चली चर्चा के बाद शनिवार की सुबह पार्टी कार्यकर्ताओं ने संगठन विस्तार, कार्यनीति, रणनीतिक मामलों पर अपने सुझाव रखे। सम्मेलन के आखिरी सत्र में पार्टी की नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। निर्वाचन अधिकारी नरेश चंद्र नौटियाल व जेसी आर्य ने चुनाव प्रक्रिया शुरू करते हुए सदन से पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय महासचिव पद के लिए नाम आमंत्रित किए। अमानुर्रहमान ने महासचिव पद के लिए पूर्व उपाध्यक्ष प्रभात ध्यानी के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसका अनुमोदन पूर्व केंद्रीय सचिव आनंदी वर्मा के साथ पूरे सदन ने किया। जबकि राजकुमार त्यागी ने अध्यक्ष पद के लिए निवर्तमान अध्यक्ष पीसी तिवारी के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसको एडवोकेट नारायण राम ने अनुमोदित कर सदन से इस नाम पर मुहर लगवाई।

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देखें वीडियो।

पीसी ने किया उत्साहवर्धन
निर्वाचन प्रक्रिया के बाद कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं को फूलमालाओं से लादकर उनके नेतृत्व में अपनी आस्था प्रकट की। निर्वाचन के बाद अपने पहले संबोधन में पार्टी अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि जिन मूल्यों व उद्देश्यों के लिए उपपा का गठन किया गया है, उनसे पार्टी कभी पीछे नहीं हटेगी। पार्टी को आज भी इस बात का गर्व है कि वह अपने सीमित संसाधनों व कार्यकर्ताओं के हौसले के दम पर उत्तराखंड में हर मजलूम की आवाज को मुखरता से उठाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जल, जंगल, जमीन की लड़ाई हो या शासन के उत्पीड़न का मामला, पार्टी हर मंच पर अपनी उल्लेखनीय भूमिका निभा रही है।

बोले प्रभात, पार्टी समतामूलक समाज की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध
नवनिर्वाचित महासचिव प्रभात ध्यानी ने कहा कि उपपा राज्य की एकमात्र इकलौती ऐसी राजनैतिक पार्टी है जिसने अपनी राजनैतिक ताकत कमजोर वर्गों तक पहुंचाकर उनको सशक्त करने में भूमिका निभाई है। अपनी इसी समतामूलक समाज की स्थापना की भावना के लिए पार्टी संविधान की बाध्यता से आगे जाकर भी गैर आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों से समाज के कमजोर वर्ग से नेतृत्व का विकास करने के लिए उन्हें चुनाव में उतारती रही है। पार्टी आगे भी अपने इसी रास्ते पर और मुखरता से चलेगी।

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इन प्रस्तावों पर रही हामी
पार्टी के नए पदाधिकारियों के चुनाव के साथ ही सम्मेलन में कई सांगठनिक व राजनैतिक प्रस्ताव भी पारित किए गए। जिसमें पार्टी संविधान में संशोधन करते हुए निर्णय लिया गया कि निचली इकाई से लेकर केंद्रीय स्तर तक एक ही व्यक्ति एक ही पद पर लगातार दो से अधिक बार नही रह सकेगा। तीसरी बार ब्रेक के बाद चौथी बार के लिए ही वह आवेदन कर सकेगा। यदि कोई विशेष परिस्थिति आयेगी तो संविधान संशोधन के माध्यम से ही ऐसा किया जा सकेगा। पार्टी सामाजिक सद्भाव के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार की बांटों और राज करो तथा जाति, वर्ण, धर्म के आधार पर पहचान के आधार की नीति का विरोध करती रहेगी। समाज के कमजोर वर्गों अनुसूचित जाति-जनजाति, अल्पसंख्यकों तथा महिलाओं को संगठन में अधिक से अधिक मुख्य भूमिकाओं के लिए विकसित किया जायेगा। इसके अलावा जगदीश व अंकिता हत्याकांड की निंदा करते हुए इनके मुकदमें फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाए जाने तथा जगदीश की विधवा गीता व बहन गंगा को सरकारी नौकरी दिए जाने परिवार को एक करोड़ के मुआवजे की मांग भी की गई। राज्य की स्थाई राजधानी गैरसैण के प्रति अपने संकल्प को दोहराते हुए पार्टी ने कहा कि गैरसैण केवल एक शहर नहीं, उत्तराखंड राज्य के शहीदों का ऐसा सपना है, जिसे अभी पूरा होना है। उत्तराखंडी अस्मिता का प्रतीक बने गैरसैण को राजधानी बनाए जाने की लड़ाई को पार्टी कमजोर नहीं पड़ने देगी।

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इनकी मौजूदगी रही सम्मेलन के आखिरी दिन
इस दौरान अधिवेशन में कुलदीप मधवाल, योद्धराज त्यागी, आनंदी वर्मा, अमानुर्रहमान, सतवीर, देहरादून जिलाध्यक्ष प्रतीक बहुगुणा, नैनीताल जिलाध्यक्ष प्रकाश उनियाल, लालमणि, सीपी शर्मा, विशन दत्त सनवाल, भूपाल सिह धपोला, विनोद जोशी, नारायण राम, बिहारी लाल, भारती पाण्डे, दीक्षा सुयाल, विष्णुशंकर अग्रवाल, रामसिंह खनी, मनमोहन अग्रवाल, एडवोकेट स्निग्धा तिवारी, भुवन, चिंताराम, किरण आर्य, सुनील पर्लवाल, गोपाल असनौड़ा, एसआर टम्टा, शिवेंद्र, पृथ्वीपाल, प्रदीप, मनोज कुमार, पुष्पा देवी, नन्द किशोर, अर्जुन कुमार, जगदीश ममगई, हिमांशु भारद्वाज, हीरा देवी, इन्द्र सिंह, राजेन्द्र सिंह, प्रकाश जोशी, जसवन्त सिंह, कोस्तुभानन्द भट्ट जागेशवर आदि मौजूद रहे।