उधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)- भाजपा के हाथ मे उत्तराखण्ड की कमान फिर से आ गयी है।उत्तराखण्ड निर्माण के बाद यह पहली बार हुआ है कि किसी पार्टी को प्रदेश की जनता ने दौबारा से जनादेश दिया हो।भाजपा को स्पष्ट बहुमत तो मिल गया।लेकिन खटीमा विधानसभा की जनता का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार तीसरी बार विश्वास जीतने में असफल रहे।अपनी हार के साथ- साथ अपने गृह जनपद में सीएम धामी बीजेपी का परचम लहराने में नाकाम रहे।
पुष्कर सिंह धामी जनपद उधमसिंह नगर की 09 विधान सभाओं में अपने नेतृत्व में बीजेपी को महज़ 04 ही सीट दिला पाये।सीएम धामी अपनी सीट समेत 05 सीटे गँवा बैठे।यह पाँचों सीटे काँग्रेस की झोली में चली गयी।2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उधमसिंह नगर जनपद में जसपुर को छोड़ क्लीन स्वीप कर जिले में बीजेपी का झंडा बुंलद किया था।वही 2022 के चुनाव में भाजपा उधमसिंह नगर की 9 सीटो में से पाँच सीटे गवाँ बैठी।इन पाँचों सीटो में से काँग्रेस ने भाजपा से चार सीटें छीन ली।युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी चेहरे पर चुनाव लड़ रही बीजेपी को उनके गृह जनपद ऊधमसिंह नगर में तो कोई खास फायदा तो नही हुआ बल्कि धामी गृह क्षेत्र से अपनी सीट भी नही बचा पाये।
खटीमा सीट पर कुल 91332 का मतदान हुआ।जिसमे काँग्रेस के भूवन कापड़ी 47626 वोट लाये तो वही उनके मद्दे मुकाबिल पुष्कर धामी 40675 वोट ही ला पाये।और भूवन कापड़ी से 60951 वोटो से खटीमा सीट हार बैठे।यंग सीएम धामी के साथ-साथ भाजपा को बड़ा झटका है।
इसके साथ ही जनपद उधमसिंह नगर के अंतर्गत पड़ने वाली नानकमत्ता विधानसभा में दो राणाओं की टक्कर थी।काँग्रेस से गोपाल सिंह राणा और भाजपा से प्रेम सिंह राणा।दोनों ही प्रबल दावेदार थे दोनों के बीच काँटे की टक्कर थी ।परन्तु भाजपा के प्रेम सिंह राणा को यह एडवांटेज था कि सीएम उनके गृह जनपद के थे और भाजपा धामी के चेहरे को भुनाना चाहती थी जो चुनाव से चंद माह पहले ही उत्तराखण्ड के सीएम बने थे।परन्तु यह कूटनीति प्रेम सिंह राणा के काम न आ सकी प्रेम सिंह राणा नानकमत्ता से चुनाव हार गये।12 राउण्ड चली मतगणना में 91385 मतों की गिनती हुई।जिसमें काँग्रेस के गोपाल राणा 48356 वोट मिले जिसके मुकाबले भाजपा के प्रेम सिंह राणा 35490 वोट ही जुटा पाये और 12866 वोटो के बड़े मार्जन से हार गये।
बात किच्छा विधानसभा की करे तो भाजपा के सिटिंग विधायक राजेश शुक्ला चुनावी मैदान में थे वही काँग्रेस के कद्दावर नेता तिलकराज बेहद अपना रुद्रपुर क्षेत्र छोड़कर किच्छा से पहली बार चुनाव लड़ रहे थे।सिटिंग विधायक होने के नाते शुक्ला का अच्छा दबदबा किच्छा में रहा है।लेकिन यह सीट भी भाजपा अपने हाथों से गवाँ बैठी।कुल मतदान 99160 हुआ जिसमें से तिलकराज बेहड़ 49043 वोट लाने में कामयाब रहे तो वही भाजपा के राजेश शुक्ला की कहानी 39180 वोट पर ही सिमट कर रह गयी।शुक्ला 9863 वोट से हार गये।
खटीमा नानकमत्ता और किच्छा की सीटों को हारने के बाद बाजपुर विधानसभा सीट भी हाथ से निकल गयी।हालांकि यह सीट 2017 में भाजपा के पास थी।भाजपा छोड़ने से पहले यहाँ से यशपाल आर्या विधायक रहे थे वह चुनावो से ठीक पहले बीजेपी छोड़ काँग्रेस में शामिल हो गये और काँग्रेस के टिकिट से चुनाव में दावेदार बन गये।भाजपा के टिकिट से राजेश कुमार उम्मीवार बन कर यशपाल आर्य को हराने चुनावी मैदान में उतरे दोनों के बीच काँटे की टक्कर रही यदि सीएम अपने गृह जनपद में थोड़ा ध्यान दे लेते।काँग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के चुनावी स्टंटो को देख कॉपी न करके थोड़ा समय जनपद में दे देते तो कुछ सीट और भाजपा की झोली में आ सकती थी।बहरहाल 108849 वोटो की गिनती में दोनों के बीच काँटे की टक्कर रही।जहाँ 39926 वोट काँग्रेस के यशपाल आर्या को मिले वही भाजपा के राजेश चौहान 38447 ही हासिल कर पाये और 1479 वोटो से हार गये।
जसपुर विधानसभा सीट भी काँग्रेस के खाते में चली गयी।उधमसिंह नगर जनपद की यह वह पाँचवी सीट है।जिस काँग्रेस पर काँग्रेस का कब्जा बरकरार रहा ।इस सीट से भाजपा के डॉ शैलेन्द्र मोहन सिंघल चुनावी मैदान में थे तो वही काँग्रेस के आदेश चौहान पुनः टक्कर दे रहे थे।97030 वोटो की मतगणना में आदेश चौहान 42448 वोट लाये तो वही शेलेन्द्र मोहन सिंह 38360 ही वोट अपनी झोली में समेट पाये और 4088 वोट से हार का सामना करना पड़ा।
यदि उधमसिंह सिंह नगर जनपद में बीजेपी की जीत की बात न कि जाये तो यह बेमानी होगा।हालांकि जनपद उधमसिंह नगर में भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी थी यहाँ पार्टी के स्टार प्रचारकों के खूब दौरे हुए।हालांकि भाजपा ने उधमसिंह नगर में सीटों को अपने कब्जे में करने के लिए मास्टर स्ट्रोक खेला और मोदी फेक्टर चलाने के लिए जिला मुख्यालय में रुदपुर में जनसभा करायी गयी।अब इसे पीएम मोदी का प्रभाव कहे या सीएम पुष्कर सिंह धामी की मेहनत 09 में से चार सीटे भाजपा की झोली में चली गयी। रुदपुर,सितारगंज,गदरपुर और काशीपुर यह चार सीटे ही बीजेपी जीत पायी।
रुदपुर मुख्यालय सीट से भाजपा के शिव अरोड़ा ने काँग्रेस की मीना शर्मा को 20671 वोटो के बड़े मार्जन से पटखनी दी।बीजेपी के शिव ने 60267 वोट हासिल किए तो वही काँग्रेस की मीना शर्मा 39596 वोट ही ला पायी।हालांकि धामी और भाजपा को थोड़ा सुकून मिला होगा कि जनपद मुख्यालय रुदपुर पर जीत का परचम भाजपा का रहा।वही गदरपुर से शिक्षामंत्री अरविंद पांडे भी अपनी सीट बचाने सफल रहे।काँग्रेस से करीबी मुकाबले में 1231 मतों से जीत पाये।अरविंद पांडे 52635 वोट लाने में कामयाब रहे तो काँग्रेस के प्रेमानन्द महाजन 51404 वोट लाये।
उधमसिंह नगर जनपद से तीसरी सीट भाजपा के खाते में काशीपुर कि गयी जिसे पूर्व विधायक हरभजन चीमा के पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा ने कांग्रेस के नरेंद्र चंद सिंह को 16292 वोट से परास्त किया।त्रिलोक सिंह चीमा 48115 मत प्राप्त किये।काँग्रेस के नरेंद्र चंद सिंह 31823 मत ला पाये।
सितारगंज सीट से सौरभ बहुगुणा एक बार फिर विजयी रहे उन्होंने काँग्रेस के नवतेज पाल सिंह को 10889 वोटो से शिकस्त दी।बीजेपी के सौरभ बहुगुणा 43096 वोट लाने में सफल रहे जबकि काँग्रेस के नवतेज पाल सिंह 32207 ही ला पाये।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड विधानसभा चुनावों में 47 सीटे लाने में भूमिका जरूर निभाई,परन्तु वह गृह जनपद के साथ-साथ गृह क्षेत्र खटीमा से अपनी सीट भी हार गये।उधमसिंह नगर जनपद में काँग्रेस 04 के मुकाबले 05 सीटो से आगे रही।इसे सीएम धामी की लापरवाही कहे या ओवर कॉन्फिडेंस जो अपने ही गृह जनपद में ध्यान नही दे पाये।
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