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वन ग्राम पूछड़ी में बेदखली की कार्रवाई पर बवाल, पुलिस घेराबंदी से तनाव; समाजवादी लोक मंच ने सरकार पर कानून तोड़ने का आरोप लगाया

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रामनगर।उत्तराखंड में वन ग्राम पूछड़ी को लेकर सरकार और स्थानीय ग्रामीणों के बीच टकराव गहराता जा रहा है। भाजपा सरकार द्वारा चलाए जा रहे बेदखली अभियान के खिलाफ इलाके में तनाव गहराया है। पूरे क्षेत्र में भारी पुलिस बल की तैनाती और बैरिकेडिंग से माहौल संवेदनशील बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन सुरक्षा देने के बजाय खौफ का माहौल बना रहा है।

“8 महिलाओं सहित 29 लोगों को नोटिस, दबाव बनाने की कोशिश”
समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने आरोप लगाया कि शासन-प्रशासन विरोध की आवाज उठाने वालों पर दमनकारी रुख अपनाए हुए है। उन्होंने बताया कि 8 महिलाओं समेत कुल 29 ग्रामीणों को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 126, 135 और 135(3) के नोटिस थमा कर डराया-धमकाया जा रहा है।

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“वन अधिकार कानून 2006 और सुप्रीम कोर्ट आदेश की खुली अवहेलना”
मुनीष कुमार ने कहा कि यह कार्रवाई वन अधिकार कानून 2006 का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने वनाधिकार दायरे में आने वाले ग्रामवासियों की बेदखली पर रोक लगाई थी। इसके बावजूद तराई पश्चिमी वन प्रभाग और पुलिस-प्रशासन कोर्ट आदेश की अनदेखी करते हुए जबरन बेदखली की कार्रवाई चला रहा है।

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प्रभात ध्यानी,उपपा नेता।

“विस्थापन से पहले पुनर्वास अनिवार्य” — उपपा
उपपा नेता प्रभात ध्यानी ने कहा कि भाजपा सरकार जनता के साथ अमानवीय और क्रूर व्यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय स्पष्ट कर चुका है कि किसी भी व्यक्ति को हटाने से पहले उचित विस्थापन और पुनर्वास आवश्यक है। ऐसे में वन ग्राम पूछड़ी में की जा रही कार्रवाई संविधान व न्यायिक मूल्यों के विपरीत है।

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उन्होंने मांग की कि बेदखली अभियान को तत्काल रोककर न्यायालय के आदेशों का सम्मान किया जाए।