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बुलडोज़र राजनीति के खिलाफ गूंजा उत्तराखंड – रुद्रपुर से हरिद्वार तक सड़कों पर उतरे संगठनों का गुस्सा

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रुद्रपुर/हरिद्वार।रामनगर के पुछड़ी गांव में गरीबों के घरों पर हुई बुलडोज़र कार्रवाई के विरोध में उत्तराखंड के विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और मजदूर संगठनों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। रुद्रपुर से लेकर हरिद्वार तक विरोध प्रदर्शनों ने पूरे प्रदेश में सरकार की कार्रवाई को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

रुद्रपुर में भाजपा सरकार का पुतला दहन

श्रमिक संयुक्त मोर्चा के बैनर तले मजदूर एवं जनसंगठनों ने आज रुद्रपुर के परशुराम चौक, ट्रांजिट कैम्प में भाजपा सरकार का पुतला फूंका। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार “विकास” व “पूंजीपतियों” के नाम पर दशकों से बसे गरीबों को उजाड़ने में लगी है।

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रुद्रपुर में पुतला दहन।

वक्ताओं ने कहा—

“गरीब लोग खून-पसीने से घर बसाते हैं, और सरकार एक झटके में बस्तियां उजाड़ दे रही है।”

उन्होंने बिना पुनर्वास गरीबों पर बुलडोज़र चलाना मानवता के खिलाफ कदम बताया।

संगठनों ने मांग की कि—

बुलडोज़र कार्रवाई तुरंत रोकी जाए

गरीबों को उनकी काबिज जमीन का मालिकाना हक दिया जाए

उजाड़े गए परिवारों के पुनर्वास और मुआवजे की व्यवस्था की जाए

सभा को कॉमरेड मुकुल, शिवदेव सिंह, ललित मटियाली समेत कई वक्ताओं ने संबोधित किया।

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हरिद्वार में उभरा प्रदेशव्यापी विरोध

7 दिसंबर को हरिद्वार में भी कई सामाजिक संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया।

हरिद्वार में प्रदर्शन करते सामाजिक संगठन।

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि—

पुछड़ी गांव को चारों तरफ से घेरकर जीरो ज़ोन घोषित किया गया

मीडिया सहित किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं

कई परिवारों के पास कोर्ट के स्टे ऑर्डर होने के बावजूद घर उजाड़े गए

वन विभाग के नोटिसों पर जवाब देने की प्रक्रिया चल रही थी, इसके बावजूद कार्रवाई की गई

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संगठनों ने गिरफ्तार लोगों की तत्काल रिहाई, बेदखली पर रोक और विस्थापित परिवारों के सम्मानजनक पुनर्वास की मांग की।

एक स्वर में उठी मांग — “बुलडोज़र राज खत्म करो!”

इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, समाजवादी लोक मंच, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी सहित प्रदेशभर के दर्जनों संगठनों ने कहा कि गरीबों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को जबरन घरों से बेदखल करना लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।

नारा गूंजा—

“जो जहां रहता है, उसे वहीं आवास दो — नहीं तो पहले पुनर्वास दो!”