
रामनगर। उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के संस्थापक, पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष और राज्य आंदोलन के प्रखर चेहरे दिवाकर भट्ट के निधन की खबर से उत्तराखंड भर में शोक की लहर दौड़ गई। दिल्ली के प्रेस क्लब में मंगलवार को आयोजित एक शोक सभा में आंदोलनकारियों, पत्रकारों और उनके साथ संघर्ष के दिनों को साझा करने वाले साथियों ने गहरी संवेदनाएँ व्यक्त कीं।
जैसे ही दिल्ली में उनके निधन का समाचार पहुंचा, उत्तराखंड आंदोलन के दौर में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाले लोग स्वतः ही प्रेस क्लब में एकत्र हुए और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
दिवाकर भट्ट लंबे समय से अस्वस्थ थे और देहरादून स्थित महंत हृदयेश अस्पताल में उपचाररत थे। मंगलवार को उन्हें हरिद्वार स्थित उनके आवास पर लाया गया, जहां शाम साढ़े चार बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
“एक स्तंभ ढह गया” – आंदोलनकारियों ने जताया दुख
शोक सभा में वक्ताओं ने दिवाकर भट्ट को उत्तराखंड राज्य आंदोलन की रीढ़ बताते हुए कहा कि उनका संपूर्ण जीवन पर्वतीय लोगों के अधिकार और सम्मान की लड़ाई के नाम रहा।
अखिल भारतीय किसान महासभा के सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा—
“दिवाकर भट्ट का निधन आंदोलनों के एक स्तंभ के ढहने जैसा है। उन्होंने जीवनभर उत्तराखंड के हितों के लिए संघर्ष किया।”
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी ने याद किया—
“कुछ दिन पहले जब मैं उनसे मिला था, तब भी उनमें उत्तराखंड के प्रति वही चिंता थी, जो आंदोलन के दिनों में थी। ऐसी जीवटता बहुत कम लोगों में होती है।
पत्रकारों ने भी याद किए संघर्ष के दिन
वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी ने कहा कि दिवाकर भट्ट के साथ आंदोलनों में रहना ऊर्जा और प्रेरणा देने वाला अनुभव था।
पत्रकार सुनील नेगी और वरिष्ठ आंदोलनकारी देव सिंह रावत ने भी उनके साथ बिताए संघर्षपूर्ण समय को स्मरण करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी।
शोक सभा में उपस्थित सभी आंदोलनकारियों और पत्रकारों ने दो मिनट मौन रखकर दिवakar भट्ट के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।
लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें
👉 हमारे फ़ेसबुक पेज को लाइक/फॉलो करें


Subscribe Now




