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उत्तराखंड में मजदूर विरोधी लेबर कोड्स के खिलाफ सड़क पर उतरे मजदूर

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रामनगर, काशीपुर, रुद्रपुर और देहरादून।26 नवंबर 2025 को उत्तराखंड के विभिन्न शहरों में मजदूर विरोधी चार नए लेबर कोड्स के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुए। इंकलाबी मजदूर केंद्र, मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) और अन्य क्रांतिकारी एवं संघर्षशील ट्रेड यूनियनों ने देश भर में लागू किए गए नए लेबर कोड्स के विरोध में सड़क पर उतरकर अपनी आवाज़ बुलंद की।

रामनगर में प्रतियों का दहन और विरोध प्रदर्शन

रामनगर के लखनपुर चुंगी पर इंकलाबी मजदूर केंद्र के नेतृत्व में नए लेबर कोड्स की प्रतियों का दहन किया गया। प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने बड़े पूंजीपतियों को 16 लाख करोड़ रुपए से अधिक कर्ज माफ कर दिया, लेकिन किसानों और खेत मजदूरों के हितों के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

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वक्ताओं ने यह भी कहा कि नए कोड्स मजदूरों के ट्रेड यूनियन अधिकारों, आठ घंटे कार्यदिवस और हड़ताल के संवैधानिक अधिकारों पर हमला हैं। महिला मजदूरों को रात की पाली में काम कराने की छूट देने जैसी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई गई।

इस प्रदर्शन में रोहित रुहेला, भुवन आर्या, तुलसी छिंवाल, गीता आर्या, मुनीष कुमार, किशन शर्मा, लालमणि, किरण आर्या, राज और प्रीति सहित कई नेता शामिल रहे।

काशीपुर में मजदूरों ने फूंकी लेबर कोड्स की प्रतियां

काशीपुर।छतरी चौराहे पर इंकलाबी मजदूर केंद्र ने चार लेबर कोड्स की प्रतियां जलाई। सभा में सुरेश ने कहा कि ये कोड मज़दूरों की गुलामी के दस्तावेज हैं और इनके तहत 29 श्रम कानून खत्म कर दिए गए हैं। हड़ताल के अधिकार पर प्रतिबंध और यूनियन बनाने की कठिनाई के कारण मजदूर पूरी तरह शोषण के अधीन हो रहे हैं।

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कार्यक्रम में पी पी आर्या, कमलेश, पंकज, सुरेश, कपिल, समन, रजनी, दीपक हुड्डा, सुभाष, रोहित सहित अन्य लोग मौजूद थे।

रुद्रपुर में श्रम भवन पर धरना और प्रतियों का दहन

रुद्रपुर। श्रमिक संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में श्रम भवन पर धरना आयोजित किया गया। धरने में नई श्रम संहिताओं की प्रतियां नैनीताल हाइवे पर जलाई गईं। वक्ताओं ने कहा कि स्थाई नौकरी, हड़ताल और यूनियन बनाने के अधिकारों को नई संहिताओं के माध्यम से कमजोर किया गया है।

महिला मजदूरों को खतरनाक उद्योगों और रात की पाली में काम करने की अनुमति देने को लेकर भी विरोध जताया गया। इसके साथ ही बड़ी पूंजीपतियों के लिए सरकारी राहत और मजदूरों पर नियंत्रण की नीतियों का विरोध किया गया।

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धरने में कैलाश भट्ट, सुरेंद्र, धीरज, ललित मटियाली, अनिता अन्ना, सौरभ, फिरोज, सुब्रत विश्वास, सुनीता, हीरा सिंह राठौर, उत्तम दास, जगमोहन डसीला, विवेक पांडे, पुरुषोत्तम मौर्या सहित सैकड़ों श्रमिक शामिल थे।

देहरादून में जिला अधिकारी को ज्ञापन

देहरादून। मजदूर संघर्ष संगठन (एमएसएस) और किसान एकता केंद्र के सदस्यों ने जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर चार मजदूर विरोधी संहिताओं को तत्काल रद्द करने की मांग की। ज्ञापन सौंपने वालों में अरसलान, राजेन्द्र, कुलदीप, अरविन्द, कुशल और अभय शामिल थे।

वक्ताओं का संदेश

सभी प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में कहा कि नए लेबर कोड्स मजदूरों के अधिकारों और हक़ों पर हमला हैं। किसानों और मजदूरों को वर्गीय स्तर पर एकजुट कर क्रांतिकारी आंदोलन को आगे बढ़ाना अब समय की आवश्यकता है।