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51 वर्षों से जीवंत परंपरा: भवानीगंज की आदर्श रामलीला में बुलेट पर सूर्पनखा की अनोखी एंट्री

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रामनगर।भवानीगंज श्राद्ध माह का आरंभ होते ही भवानीगंज की आदर्श रामलीला समिति ने इस वर्ष की भव्य रामलीला का उद्घाटन कर दिया। यह आयोजन अब अपने 51वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है और हर साल की तरह इस बार भी दर्शकों ने इसे खुले दिल से अपनाया।

पहली बार बुलेट पर सूर्पनखा की एंट्री

रामलीला के मंचन में इस बार एक अनोखा दृश्य देखने को मिला। सूर्पनखा का किरदार निभाने वाले कलाकार जब बुलेट मोटरसाइकिल पर बैठकर मंच तक पहुंचे, तो पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। दर्शकों ने इस भव्य एंट्री का भरपूर आनंद लिया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इस नजारे को देखकर गदगद हो उठे।

कलाकारों का निःशुल्क समर्पण

इस रामलीला की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यहां परफॉर्म करने वाले सभी कलाकार निःशुल्क अपनी सेवाएं देते हैं। उन्हें कोई मेहनताना नहीं दिया जाता, बल्कि वे केवल भक्ति, संस्कृति और परंपरा के संरक्षण की भावना से इस आयोजन का हिस्सा बनते हैं। यही कारण है कि इस रामलीला की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है।

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दूर-दराज से आते हैं कलाकार

भवानीगंज की रामलीला केवल स्थानीय कलाकारों तक सीमित नहीं है। इसमें उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से आए कलाकार भी हिस्सा लेते हैं। मंच पर दिखाई गई झांकियों, संवादों और कलाकारों की जीवंत अदाकारी ने दर्शकों को मानो रामायणकालीन युग में पहुँचा दिया।

देखिए वीडियो

इंदर लाल की खास पहचान

वन विभाग में डिप्टी रेंजर पद पर कार्यरत इंदर लाल बीते 30 वर्षों से रामलीला में सूर्पनखा और कैकई जैसे महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे हैं। उनकी अदाकारी की डिमांड पूरे क्षेत्र की रामलीलाओं में रहती है। दर्शक हर साल उनके अभिनय का इंतजार करते हैं और उनकी प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठती है।

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फोटो इंदर रावत अपने किरदार में।

श्रद्धा और उत्सव का संगम

रामलीला के उद्घाटन अवसर पर पूरे क्षेत्र में मेले जैसा माहौल देखने को मिला। वीडियो फुटेज में साफ दिखा कि बच्चे, महिलाएँ और बुजुर्ग बड़ी संख्या में मौजूद थे। मंच की रंग-बिरंगी सजावट, पारंपरिक वेशभूषा और भव्य संवादों ने पूरे वातावरण को आस्था और उल्लास से भर दिया।

राजीवअग्रवाल, महामंत्री,आदर्श रामलीला समिति,भवानीगंज।

समिति के महामंत्री राजीव अग्रवाल ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल धार्मिक कथा का मंचन करना नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को हमारी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ना भी है। यही कारण है कि यह आयोजन आधी सदी से भी अधिक समय से निरंतर जारी है।बता दे कि राजीव अग्रवाल खुद भी रामलीला का मंचन कर चुके है वह मंच पर कई अलग अलग किरदार निभा चुके हैं।भगवान राम, दशरथ और केवट की भूमिका को बखूबी निभा चुके हैं।

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मुख्य आकर्षण (Highlights)

51वां वर्ष: रामलीला ने पूरे क्षेत्र में आस्था और परंपरा का दीप जलाया।

बुलेट पर सूर्पनखा की एंट्री: पहली बार ऐसा दृश्य देखकर दर्शक गदगद हो उठे।

निःशुल्क सेवा: सभी कलाकार केवल भक्ति और संस्कृति से जुड़े होकर मंचन करते हैं।

बाहरी राज्यों से सहभागिता: उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने भी दी प्रस्तुतियाँ।

इंदर रावत का योगदान: 30 वर्षों से निभा रहे सूर्पनखा और कैकई के यादगार किरदार।

उत्सव का माहौल: मंच, पोशाकें और अभिनय ने हजारों दर्शकों को बांधे रखा।