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ढाका का बड़ा फैसला: पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा

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ढाका। बांग्लादेश की राजनीति में सोमवार का दिन ऐतिहासिक और बेहद तनावपूर्ण रहा। वर्षों तक देश की सत्ता पर काबिज रहीं अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने मानवता के विरुद्ध अपराध का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने यह सजा पिछले वर्ष हुए छात्र विद्रोह पर घातक कार्रवाई का आदेश देने के अपराध में सुनाई है।

फैसले में हसीना के साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान को भी मौत की सजा दी गई है। वहीं, पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को सरकारी गवाह बनने और दोष स्वीकार करने के कारण पांच वर्ष कैद की सजा मिली।

सीधे प्रसारण के बीच सुनाया गया फैसला

ढाका के उच्च सुरक्षा वाले परिसर में चल रही सुनवाई का सीधा प्रसारण किया गया, जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। रॉयटर्स के अनुसार, महीनों चली सुनवाई में 78 वर्षीय हसीना को 15 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच छात्र आंदोलन पर हिंसक दमन कराने का दोषी पाया गया। अदालत ने टिप्पणी की कि अभियोजन पक्ष ने “बिना किसी संदेह के” यह साबित कर दिया कि निहत्थे छात्रों पर बल प्रयोग का आदेश स्वयं हसीना ने दिया था।

विद्रोह, हिंसा और राजनीतिक भूचाल

जुलाई 2024 में छात्रों द्वारा चलाया गया भेदभाव-विरोधी आंदोलन तेजी से उग्र हुआ था। इस विद्रोह ने हसीना सरकार की जड़ें हिला दीं और अंततः 5 अगस्त 2024 को उन्होंने देश छोड़कर भारत में शरण ली। इस दौरान हुए संघर्ष में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 1,400 लोगों की मौत हो गई थी।

इसी आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, उकसावे और कथित हत्याओं को अदालत ने मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा।

देशव्यापी बंद और सुरक्षा के कड़े इंतजाम

फैसले से ठीक पहले बांग्लादेश अवामी लीग ने देशभर में दो दिन के बंद की घोषणा की, जिसका असर सोमवार को साफ दिखा। राजधानी ढाका में सड़कों पर सामान्य दिनों की तुलना में कम यातायात दिखा, जबकि कुछ स्थानों पर पटाखों की आवाज़ों से तनाव बढ़ा।

न्यायाधिकरण परिसर और आसपास के इलाकों में सुरक्षा को लेकर अभूतपूर्व इंतजाम किए गए।

हसीना के शासनकाल की त्रासदी

और विडंबना यह कि आज जिस अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने हसीना को दोषी ठहराया, उसे स्थापित स्वयं हसीना सरकार ने 1971 के मुक्ति संग्राम में हुए युद्ध अपराधों की सुनवाई के लिए किया था। इसी न्यायाधिकरण ने उनके कार्यकाल में जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं को सजा सुनाई थी।

आज वही अदालत उनके राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी और कठोरतम सजा का कारण बनी।