रामनगर:कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत सर्पदुली रेंज में 5 नवंबर को हुई मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना में एक बाघ ने ढिकुली निवासी कौशल्या देवी पर हमला कर अपना निवाला बना लिया था।जिसके बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ साकेत बडोला द्वारा मृतिका के घर जाकर नियमानुसार धनराशि का चैक प्रदान किया और दुःख प्रकट कर परिजनों को सांत्वना दी,और मानव वन्यजीव संघर्ष के न्यूनीकरण को लेकर एक बैठक भी की।इसके बाद बाघ के रेस्क्यू में जुटे वनकर्मियों की भी बैठक ली।
बता दे कि 5 नवंबर की सुबह ढिकुली निवासी 50 वर्षीय कौशल्या देवी जंगल से लकड़ियां लेने अपनी साथी महिलाओं के साथ गई थी।जिस दौरान बाघ के साथ संघर्ष में कौशल्या देवी की मौत हो गई थी।इस घटनाक्रम के बाद 7 नवंबर को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला मृतिका के घर परिजनों से मिलने और उनको सांत्वना देने पहुंचे।इस दौरान मानव वन्यजीव संघर्ष नियमावली के तहत दी जाने वाली अनुग्रह राशि की अग्रिम धनराशि का चैक प्रदान किया गया। इसके साथ ही उनके द्वारा ग्रामीणों के साथ एक संक्षिप्त बैठक का आयोजन भी किया गया, जिसमें मानव वन्यजीव संघर्ष न्यूनीकरण हेतु विभिन्न मुददों पर चर्चा की गयी एवं आपसी समन्वय के साथ मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए किये जा रहे प्रयासों के विषय में चर्चा की गयी।
तपश्चात घटनास्थल के समीप डॉ० साकेत बडोला, निदेशक, कार्बेट टाइगर रिजर्व द्वारा बाघ रेस्क्यू अभियान में सम्मिलित वनकर्मियों की भी बैठक ली गयी, जिसमें उन्होने रेस्क्यू टीम, रात्रि पैट्रोलिंग टीम तथा बाघ की गतिविधियों के मॉनिटरिंग हेतु कैमरा ट्रैप टीम को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। उन्होने निर्देशित किया कि सम्बन्धित क्षेत्र में गश्त कार्य आवश्यक रूप से बढ़ाया जाये। दिवसीय गश्त के साथ रात्रि व हाथियों द्वारा गश्त कार्य के साथ ही बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने हेतु कैमरा ट्रैप एवं ड्रोन की भी सहायता ली जाये। क्षेत्र में लगाये गये पिंजरे की दैनिक रूप से मॉनिट्रिंग की जाये। इसके अतिरिक्त ग्रामवासियों,राहगीरों को जंगल के समीप व जंगल के अन्दर प्रवेश न करने की अपील की जाये व जागरूकता अभियान चलाये जाये। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग 309 के समीप स्थित गांवों और घरों, रेस्टोरेंट और ढाबों के लोगों तथा सड़क पर घूमने वालों को आगाह किया जाये कि वे अंधेरे में जंगल की ओर न जाये और सूर्यास्त के बाद सड़क पर घूमने के बजाय अपने घर लौट जाये, इसके अतिरिक्त रिजॉर्ट प्रबन्धकों को अपने स्टाफ की सुरक्षा करने का निर्देश दिया जाये कि रात में किसी भी प्रकार की आवाजाही को रोका जाये और यदि बाघ की आवाज सुनाई दे या दिखाई दे, तो तुरन्त निकटतम फॉरेस्ट चौकी को इसकी सूचना दे,ताकि किसी प्रकार की जनहानि न हो।
वन कर्मियों द्वारा न केवल बाघ की निगरानी एवं गश्त के साथ-साथ रात्रि में राष्ट्रीय राजमार्ग 309 पर देर रात्रि आवश्यक कार्य हेतु पैदल घूमने वाले व्यक्तियों पर भी निगरानी की जाये। पैट्रोलिंग तथा बाघ चिन्हिकरण के कार्यों में लापरवाही न बरती जाये।
इस दौरान बैठक में राहुल मिश्रा, उप निदेशक, कार्बेट टाइगर रिजर्व, अमित कुमार ग्यासीकोटी, उप प्रभागीय वनाधिकारी, बिजरानी, कार्बेट टाइगर रिजर्व, राकेश नैनवाल, अशोक खुल्ये, अध्यक्ष ई०डी०सी० ढिकुली राजेन्द्र छिम्वाल, जगदीश छिम्वाल, ग्रामीण तथा वन कर्मी उपस्थित रहें।
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