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फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति प्राप्त करने वाली अधिकारी 35 साल बाद बर्खास्त

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देहरादून(उत्तराखंड):अनुसूचित जाती का फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वाली बाल विकास परियोजना अधिकारी लक्ष्मी टम्टा को शासन ने बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिये है।मामला ऊधमसिंह नगर जनपद के जसपुर से जुड़ा हुआ है।


आरोप है कि 1988मे फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पायी थी।लक्ष्मी टम्टा की शिकायत मिलने पर विभिन्न स्तरो से की गयी जाँच मे पाया गया कि शादी से पहले लक्ष्मी टम्टा,पन्त यानी ब्राह्मण थी ।शादी के बाद लक्ष्मी टम्टा हो गयी।जिसके आधार पर अनुसूचित जाती का दूसरा जाती प्रमाण पत्र बना कर नौकरी प्राप्त कर ली।जाँच मे पाया कि हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के शैक्षिक प्रमाण पत्रो मे कु0 लक्ष्मी पन्त अंकित है। लेकिन 1982 मे लक्ष्मी की शादी मुकेश लाल टम्टा निवासी धारमी मोहल्ला थाना बाज़ार अल्मोड़ा से हो गयी।जिसके बाद लक्ष्मी ने स्नातक कक्षाओ मे अपना नाम पन्त को हटा कर लक्ष्मी टम्टा लिख लिया,और इसको आधार बना कर अनुसूचित जाती का प्रमाण पत्र हासिल कर आरक्षित कोटे का लाभ उठा कर 1988 मे मुख्य सेविका के पद पर नियुक्ति प्राप्त कर ली।

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जबकि शासनादेश संख्या 22/39/1982/कार्मिक-2/17-5-1984 के अनुसार अनारक्षित श्रेणी की महिला किसी आरक्षित श्रेणी के पुरुष से विवाह करती है तो उन्हे आरक्षण का लाभ नही मिलेगा।बावजूद इसके लक्ष्मी ने सबकी आँखो मे धूल झौकते हुए नौकरी हासिल की अपितु बाल विकास परियोजना अधिकारी भी बन गयी।
जाती प्रमाण पत्र के सम्बंध मे जिलाधिकारी अल्मोड़ा को शिकायत मिलने पर जाँच की गयी तो लक्ष्मी के जाती प्रमाण पत्र फर्जी होने की पुष्टि हुई जिसके बाद जिलाधिकारी अल्मोड़ा द्वारा दिया गया अनुसूचित जाती प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया।इस मामले मे पहले लक्ष्मी को चार्ज शीट भी दी गयी थी।जिसको लक्ष्मी ने यह कह कर निरस्त कर दिया गया था कि उनके द्वारा कोई कूटरचित दस्तावेज जाती प्रमाण पत्र हेतू प्रस्तुत नही किया गया।जिसके बाद मामला हाईकोर्ट मे भी गया।जिसके बाद विभाग के निदेशक हरिचंद सेमवाल ने लक्ष्मी टम्टा के बर्खास्तगी के आदेश जारी कर दिये है।लक्ष्मी की बर्खास्तगी के बाद उनके खिलाफ पुलिस मे धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करवाने के साथ ही उनसे रिकवरी की कार्यवाही की जा रही है।